Nithari Case: पेरेंट्स ने पूछा- 'ये दोनों निर्दोष तो हमारे बच्चों को किसने मारा', कोर्ट ने लगाई CBI को लताड़

Nithari Victims on Verdict: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने निठारी केस के दोनों दोषियों को बरी कर दिया है. इसके बाद पीड़ित परिवारों का दर्द छलक आया. उन्होंने पूछा कि जब ये दोनों निर्दोष हैं, तो हमारी बच्चियों को किसने मारा है. सीबीआई इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Oct 17, 2023, 09:54 AM IST
  • कोर्ट ने बताई एजेंसियों की विफलता
  • कोर्ट- सही तरह से नहीं जुटाए सबूत
Nithari Case: पेरेंट्स ने पूछा- 'ये दोनों निर्दोष तो हमारे बच्चों को किसने मारा', कोर्ट ने लगाई CBI को लताड़

नई दिल्ली: Nithari Victims on Verdict: नोएडा के चर्चित निठारी कांड के दोनों आरोपियों को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 17 साल बाद बरी कर दिया है. इस फैसले के बाद पीड़ित परिवारों का दर्द छलक उठा है. फैसले के बाद कुछ पीड़ित परिवार पंढेर की खंडहर हो चुकी D-5 कोठी पहुंचे. एक पिता ने कोठी पर ईंट फेंकते हुए पूछा, 'अगर वो दोनों निर्दोष हैं तो हमारे बच्चों को किसने मारा'.

हाई कोर्ट ने भी इस मामले में सीबीआई को भी फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा कि सबूत जुटाने कर नियमों का बेशर्मी से उल्लंघन किया गया है. अभियोजन पक्ष की विफलता, जिम्मेदार एजेंसियों द्वारा जन आस्था के साथ धोखे से कम नहीं है. 

कार्यप्रणाली पर उठे सवाल
इलाहाबाद हाई कोर्ट की सैयद आफताब हुसैन रिजवी और अश्वनी कुमार मिश्रा की बैंच ने सीबीआई की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा, आरोपी से पूछताछ दर्ज करने के लिए आवश्यक प्रक्रिया अपनानी चाहिए थी. जिस तरह से अनौपचारिक तरीके से गिरफ्तारी, बरामदगी और स्वीकारोक्ति हुई, उनमें ज्यादातर निराशाजनक हैं. अभियोजन पक्ष शुरुआत में पंढेर और कोली को आरोपी दिखाता है, लेकिन इसके बाद दोष केवल कोली पर मढ़ने तक अपनी स्थिति बदलता रहा. 

मकान में नहीं मिले चाकू-कुल्हाड़ी
अदालत ने पाया कि मानव कंकाल की बरामदगी एक नाले से की गई, पंढेर के मकान से नहीं. मकान में केवल दो चाकू और एक कुल्हाड़ी की बरामदगी हुई है, लेकिन इनका भी अपराध में निःसंदेह उपयोग नहीं किया गया. हालांकि, कथित तौर पर पीड़ितों को गला घोंटकर मारने के बाद शरीर के अंगों इन्हीं से काटा गया था. 

फैसले को पलटा
जजों की पीठ ने कहा, जांच के दौरान इस तरह की गंभीर खामियों के संभावित कारण मिलीभगत सहित कई तरह के अनुमान हो सकते हैं. लेकिन हम इन पहलुओं पर कोई निश्चित राय नहीं देना चाहते. ऐसे सवालों को उचित स्तर पर जांच के लिए छोड़ते हैं. इस मामले में आरोपी अपीलकर्ता चतुराई से निष्पक्ष सुनवाई से बच गए. निचली अदालत द्वारा 24 जुलाई, 2017 को पारित आदेश के तहत आरोपी एसके और पंढेर की दोषसिद्धि और सजा को पलटा जाता है.

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