नई दिल्लीः राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) का अगला लक्ष्य पांच वर्षों में गंगा की सहायक नदियों में सफाई प्रक्रिया को तेज करना है. जल शक्ति सचिव पंकज कुमार ने शनिवार सुबह आईटीओ के छठ घाट पर जल शक्ति मंत्रालय और वैपकोस द्वारा स्वच्छता अभियान के दौरान कहा, 'हमारी नदियों के सबसे प्रदूषित हिस्सों की पहचान केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से की जा चुकी है और उन पर नजर रखी जा रही है.'
एनएमसीजी में गंगा प्रहरी (गंगा के संरक्षक) और गंगा दूत जैसे कैडर हैं. वे प्रशिक्षित वॉलेंटियर्स हैं, जो स्थानीय समुदायों के बीच काम करते हैं, ताकि लोगों में जागरूकता पैदा की जा सके कि नदी को जीवित रखने के लिए इसकी सफाई कितनी महत्वपूर्ण है.
उत्तराखंड के ऊपरी हिस्सों में गंगा को किया साफ
एनएमसीजी परियोजना की सफलता पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में गंगा के ऊपरी हिस्से को पहले ही साफ कर दिया गया है. अब उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल में काम चल रहा है. इस प्रक्रिया में हम प्रमुख शहरों के घाटों को आधुनिक बनाने के लिए उन्हें भी लक्षित कर रहे हैं. इन सबके लिए एक जन आंदोलन की आवश्यकता होगी, क्योंकि नदियों और उनके आस-पास को जनता की मदद के बिना साफ नहीं रखा जा सकता है, इसलिए इसके बारे में जन जागरूकता फैलाना हमारा एक और लक्ष्य है.
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जल शक्ति मंत्रालय एक जन जागरूकता अभियान बनाने के लिए ग्राम पंचायतों और गांवों में जल और स्वच्छता समितियों को लक्षित कर रहा है.
10 करोड़ से ज्यादा शौचालयों का किया निर्माण
स्वच्छ भारत मिशन 1.0 की स्थिति के बारे में उन्होंने कहा कि यदि आप स्वच्छ भारत मिशन 1.0 देखें, तो हमने 10 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण करके और व्यापक व्यवहार परिवर्तन लाकर अपने लक्ष्य को पर्याप्त रूप से प्राप्त किया है. अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा भी नोट किया गया है. इसलिए बहुत प्रगति हुई है और यह लोगों की व्यापक भागीदारी के कारण ही संभव हुआ है और स्वच्छ भारत 2.0 के लिए हमारा दृष्टिकोण यही होगा.
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