मुलायम सिंह यादव ने शुरू की थी शहीदों से जुड़ी ये परंपरा, जानें वो ऐतिहासिक फैसला

मुलायम सिंह यादव देश के रक्षा मंत्री भी रहे थे. उनके रक्षा मंत्री रहते हुए उन्होंने जवानों और सेना के हित में कई ऐतिहासिक फैसले किए. अपने कार्यकाल के दौरान ही उन्होंने शहीदों के शव को सम्मानपूर्वक उनके घर भेजने और पूर्ण सैन्य सम्मान के साथ उसकी अंत्येष्टि करवाना भी सुनिश्चित कराया. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Oct 10, 2022, 02:36 PM IST
  • मुलायम सिंह यादव ने शुरू की थी शहीदों से जुड़ी ये परंपरा
  • रक्षा मंत्री रहते हुए उन्होंने लिया था ये ऐतिहासिक फैसला
मुलायम सिंह यादव ने शुरू की थी शहीदों से जुड़ी ये परंपरा, जानें वो ऐतिहासिक फैसला

नई दिल्ली: यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का आज सुबह गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया. उन्होंने 82 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया. छात्र राजनीति से सत्ता के गलियारे तक का सफर तय करने वाले मुलायम सिंह यादव ने तीन बार देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की कमान संभाली. मुलायम सिंह यादव 1989, 1993 और 2003 में यूपी के सीएम रहे. वहीं 1996-1998 तक उन्होंने देश के रक्षा मंत्री का पदभार संभाला था. इस दौरान मुलायम सिंह यादव ने देश के जवानों और उनके परिवार के लिए एक ऐसा फैसला भी लिया जिसकी मिसाल आज भी दी जाती है. 

शहीदों के लिए ऐतिहासिक फैसला

मुलायम सिंह यादव के रक्षा मंत्री बनने से पहले शहीद होने वाले जवानों की वर्दी उनके घर भेजी जाती थी. लेकिन मुलायम सिंह ने शहीदों के शव को सम्मानपूर्वक उनके घर भेजने और पूर्ण सैन्य सम्मान के साथ उसकी अंत्येष्टि करवाना भी सुनिश्चित कराया. 

देवगौड़ा के कार्यकाल में बने रक्षा मंत्री

मुलायम सिंह यादव ने एचडी देवगौड़ा के साशनकाल में रक्षामंत्री का पदभार संभाला था. 'एक और लोहिया: मुलायम सिंह यादव' किताब में लिखी जानकारी के अनुसार मुलायम सिंह यादव ने रक्षा मंत्री बनते ही यह ऐलान कर दिया कि भविष्य में कोई भी युद्ध भारत की धरती पर नहीं लड़ा जाएगा. उन्होंने ही सुखोई 30 विमान सौदे को पूरा किया था. इस सौदे में पहली बार रूसी एजेंसी DRDO को अनुसंधान और विकास में कार्यक्रम में हिस्सा लेने और हवाई जहाजों को मिल जुलकर विकसित करने पर राजी हुई थी. 

सैनिकों की आर्थिक सहायता को भी बढ़ाया

किताब के अनुसार मुलायम सिंह यादव ने रक्षा मंत्री रहते हुए पूर्व सैनिकों की समस्याओं पर भी ध्यान दिया. उन्होंने पूर्व सेनिकों की विधवाओं को मिलने वाली रकम को 250 से बढ़ाकर 500 रुपये मासिक कर दिया. उनकी बेटियों के लिए दी जाने वाली सहायता राशि को 4 हजार से बढ़ाकर 8 हजार, मकान की मरम्मत की राशि को 5 हजार से बढ़ाकर 10 हजार और इलाज के लिए 8 की जगह 15 हजार रुपये देने का फैसला किया. 

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