नई दिल्लीः बिहार विधानसभा में मंगलवार को पेश की गई जाति सर्वेक्षण की एक रिपोर्ट के अनुसार राज्य में रहने वाले एक तिहाई से अधिक परिवार गरीबी में जीवन यापन कर रहे हैं और उनकी मासिक आय छह हजार रुपये या उससे कम है. रिपोर्ट में यह भी स्वीकार किया गया कि सवर्ण जातियों में काफी गरीबी है. हालांकि, पिछड़े वर्गों, दलितों और आदिवासियों में यह प्रतिशत अनुमानतः काफी अधिक है.
सदन में पेश की गई रिपोर्ट
बिहार के संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी द्वारा पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार राज्य में लगभग 2.97 करोड़ परिवार हैं जिनमें से 94 लाख से अधिक (34.13 प्रतिशत) परिवार गरीब हैं. चौधरी ने राज्य सरकार द्वारा कराई गई जाति आधारित गणना की एक विस्तृत रिपोर्ट पेश की गई जिसके प्रारंभिक निष्कर्ष दो अक्टूबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव सहित अन्य की उपस्थिति में सार्वजनिक किए गए थे.
जानिए इस रिपोर्ट की खास बात
चौधरी ने इस प्रक्रिया को ‘ऐतिहासिक’ करार दिया और आंकड़ों के ‘प्रमाणिक’ होने का दावा किया. उन्होंने राज्य में विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा सत्तारूढ़ ‘महागठबंधन’ पर राजनीतिक हित के लिए आंकड़ों में ‘हेरफेर’ करने के आरोपों का खंडन करते हुए कहा,‘‘हमें याद रखना चाहिए कि किसी जाति की जनसंख्या प्रतिशत में वृद्धि कोई उपलब्धि नहीं है. इसी तरह प्रतिशत में गिरावट का मतलब नुकसान नहीं है.’’
साक्षरता दर में भी सुधार
मंत्री ने कहा कि साक्षरता की दर में सुधार हुआ है और यह 2011 की जनगणना के अनुसार 69.8 प्रतिशत से बढ़कर 79.8 प्रतिशत हो गई और महिलाओं ने शिक्षा के मामले में अपेक्षाकृत लंबी छलांग लगाई हैं. मंत्री ने कहा, इसमें आश्चर्य की बात नहीं है कि राज्य में लिंगानुपात में भी सुधार हुआ है, जहां प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 918 से बढ़कर 953 हो गयी है.
इतने लोग राज्य से बाहर
रिपोर्ट के अन्य महत्वपूर्ण निष्कर्षों के अनुसार 50 लाख से अधिक बिहारवासी आजीविका या बेहतर शिक्षा के अवसरों की तलाश में राज्य से बाहर रह रहे हैं. बिहार के बाहर दूसरे राज्यों में जीविकोपार्जन करने वालों की संख्या लगभग 46 लाख है जबकि अन्य 2.17 लाख लोग विदेशों में रह रहे हैं. दूसरे राज्यों में पढ़ाई करने वालों की संख्या लगभग 5.52 लाख है जबकि लगभग 27,000 विदेश में भी पढ़ाई कर रहे हैं.
सर्वेक्षण में मुसलमानों के बीच जाति विभाजन को भी ध्यान में रखा गया जो कुल मिलाकर राज्य की आबादी का 17 प्रतिशत से अधिक है. सैय्यद में गरीबी की दर सबसे कम 17.61 प्रतिशत है. सर्वेक्षण के मुताबिक अनुसूचित जातियों में 42.91 प्रतिशत परिवार गरीब हैं जबकि अनुसूचित जनजातियों में गरीबों की संख्या 42.78 प्रतिशत हैं.
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