3 कृषि कानून रद्द होने के बाद UP में इतने फीसद मंडी शुल्क वसूला जाएगा, महंगाई बढ़ेगी

अब राज्यभर में मंडी समिति परिसर के बाहर कारोबार करने वाले व्यापारियों को पहले की तरह डेढ़ फीसद शुल्क देना होगा. 

Written by - Shivam Pratap | Last Updated : Dec 11, 2021, 12:09 PM IST
  • कानून आने के बाद मंडी के बाहर कारोबारियों को छूट मिल गई थी
  • राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद ने अब शुल्क के निर्देश जारी किए हैं
3 कृषि कानून रद्द होने के बाद UP में इतने फीसद मंडी शुल्क वसूला जाएगा, महंगाई बढ़ेगी

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को संसद में विधेयक लाकर रद्द कर दिया है और किसानों की सभी 6 मांगें मानते हुए उन्हें लिखित प्रस्ताव दिया. इसके बाद आज यानी शनिवार से किसानों ने अपने घरों की ओर जाना भी शुरू कर दिया है. सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर से किसान टेंट, पक्के कमरे, टिन शेड हटाने लगे हैं और कुछ जत्थेबंदी तो रवाना भी हो गए हैं.

उधर, नए कृषि कानूनों के रद्द किए जाने की केंद्र सरकार की ओर से अधिसूचना जारी किए के बाद अब यूपी सरकार ने प्रदेशभर में पुरानी व्यवस्था लागू कर दी है. अब राज्यभर में मंडी समिति परिसर के बाहर कारोबार करने वाले व्यापारियों को पहले की तरह डेढ़ फीसद शुल्क देना होगा. 

नए कृषि कानून लागू होने के बाद मंडी के बाहर कारोबार करने पर मंडी शुल्क अदा करने से छूट मिल गई थी. राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद की ओर से प्रदेशभर में मंडी शुल्क लगाए जाने संबंधी निर्देश शुक्रवार को सभी कृषि उत्पादन मंडी समितियों को दे दिए गए हैं.

गेहूं, दालों और चावल, सब्ज़ी, फल के दाम बढ़ेंगे
इस लगने वाले डेढ़ फीसदी शुल्क में से एक प्रतिशत मंडी शुल्क और आधा प्रतिशत विकास सेस होगा. इस टैक्स के दोबारा लागू होने से आम लोगों की जेब पर भी असर पड़ेगा, महंगाई और ज्यादा बड़ेगी. आसान शब्दों में कहा जाए तो इससे गेहूं, दालों और चावल, सब्ज़ी, फल की कीमत महंगी हो जाएगी. 

ये भी पढ़ें- Farmers Protest: बॉर्डर से हटाए जाने लगे हैं बैरिकेड्स, आज विजय रैली के बाद लौट जाएंगे किसान

क्या कहते हैं व्यापारी
UP उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष बनवारी लाल कंछल का कहना है कि प्रदेश भर में मंडी शुल्क वसूलने का सीधा असर गेहूं, चावल, फल, दाल आदि के दामों पर पड़ेगा और इसके साथ ही व्यापारियों को नए सिरे से लाइसेंस भी बनवाना होगा. इसकी वजह से व्यापारियों के उत्पीड़न बड़ेगा जिससे व्यापारियों में भारी रोष है. हम आंदोलन करने पर विचार कर रहे है.

इस बारे में यूपी के किसान दीपेंद्र राजावत कहते हैं कि मान लीजिए आपकी फैक्ट्री है तो आप माल कहीं भी बेच और खरीद सकते हैं लेकिन किसान और कृषि व्यापार करने वाले आज भी सरकारी चक्कर में फंसे हैं. कृषि व्यापारी को अब मंडी के बाहर फसल खरीद करने पर टैक्स देना ही होगा, इस वजह से व्यापारी हमसे डायरेक्ट माल नहीं खरीदते और हम खेतों से मंडियों में फसलें ले जाने को मजबूर हो जाते हैं. इससे हमारा खर्चा और मेहनत दोनों बढ़ जाता है. सबसे बड़ी बात कि उपयोग करने वाले को भी गेंहू, फल,सब्जी, दाल महंगी मिलती है जबकि ये टैक्स तो सरकार के खाते में जा रहा है.

2020 में खत्म हो गई थी पुरानी व्यवस्था
2020 में केंद्र सरकार द्वारा नए कृषि कानून लागू करने के बाद योगी सरकार द्वारा शासनादेश जारी कर मंडी समिति परिसर के बाहर कारोबार करने पर व्यापारियों से किसी तरह का मंडी शुल्क वसूलने की व्यवस्था को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया था. सिर्फ मंडी परिसर में कारोबार पर ही व्यापारियों को मंडी शुल्क देना होता था.

ये भी पढ़ें- जिन किसानों ने रद्द करवाए कृषि कानून, सालभर बाद घर जाते हुए वे क्या बोले?

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.  

ट्रेंडिंग न्यूज़