अंश राज, नई दिल्ली, Mukhtar Ansari Death: मुख्तार के नाम के आगे ऐसे ही माफिया नहीं लगा था. इसके पीछे थी उसके गुनाहों की लाल किताब. लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में वर्ष 1999 में दर्ज गैंगेस्टर का मामला हो या फिर धोखाधड़ी को लेकर पंजाब में चल रहे मुकदमा हो. उसके दौर में हर तरफ मुख्तार अंसारी के नाम का डंका बज रहा था. जब माफिया अंसारी पर पुलिस ने शिकंजा कसना शुरू किया तब उसने जान बचाने के लिए पंजाब की जेल में शरण ले ली. मुख्तार अंसारी की 28 मार्च की रात दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई है. माफिया के मरने के बाद उसके द्वारा किए गए गुनाहों के चिट्ठे खुलते जा रहे हैं.
पंजाब से लाया गया था बांदा जेल
साल 2019 में मुख्तार के खिलाफ पंजाब में धोखाधड़ी का एक मुकदमा दर्ज हुआ, जिसके बाद उसे रोपड़ जेल पंजाब भेज दिया गया. मुख्तार ने जुर्म की दुनिया में यूपी की जमीन से ही पहला कदम रखा था. माफिया और गैंगस्टर मुख्तार अंसारी के खिलाफ उत्तर प्रदेश में चल रहे केस में नोटिस जारी किया गया, लेकिन मुख्तार हर बार अपनी बीमारी का हवाला देते हुए पेश नहीं हो रहा था.
जब मुख्तार हर बार अपने सेहत का हवाला देकर नोटीस को नजरअंदाज कर रहा था, तब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. इसके बाद अभियोजन विभाग ने मुख्तार के बीमार होने की दलील के बावजूद उसको दिल्ली की अदालत में पेश होने को कहा था. इसके बाद ही सुरक्षा के कड़े इंतजाम कर मुख्तार अंसारी को पंजाब की रोपड़ जेल से यूपी की बांदा जेल में लाया गया था.
शासन-प्रशासन पर था माफिया का होल्ड
मिली जानकारी के मुताबिक माफिया मुख्तार अंसारी की पुलिस से लेकर अभियोजन विभाग से अच्छी-खासी बातचीत थी. बता दें कि यूपी की राजधानी लखनऊ के हजरतगंज थाने में मुख्तार पर गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था. इस केस में अदालत ने मुख्तार को दोषमुक्त कर दिया था.
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