Kolkata case update: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (9 सितंबर) को पश्चिम बंगाल राज्य के डॉक्टरों को निर्देश दिया कि वे तुरंत काम पर लौट आएं, जो आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बलात्कार-हत्या के विरोध में ड्यूटी से दूर हैं. कोर्ट ने निर्देश दिया कि अगर वे कल शाम 5 बजे तक काम पर लौट आते हैं, तो उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी.
पश्चिम बंगाल राज्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि काम पर लौटने वाले डॉक्टरों के खिलाफ दंडात्मक ट्रांसफर सहित कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी.
साथ ही, न्यायालय ने राज्य को यह भी निर्देश दिया कि वह अस्पतालों में सुरक्षित कार्य परिस्थितियां सुनिश्चित करे. न्यायालय ने आदेश दिया, 'पश्चिम बंगाल राज्य को डॉक्टरों के मन में यह विश्वास पैदा करने के लिए कदम उठाने चाहिए कि उनकी सुरक्षा के बारे में चिंताएं हैं और उनका उचित ढंग से समाधान किया जाना चाहिए, पुलिस को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक परिस्थितियां बनाई जाएं (जिसमें अलग-अलग ड्यूटी रूम, शौचालय की सुविधा, सीसीटीवी कैमरे लगाना शामिल है).'
न्यायालय ने स्वास्थ्य सचिव द्वारा दायर हलफनामे पर गौर किया कि आरजी कर अस्पताल और अन्य सरकारी अस्पतालों में सीसीटीवी कैमरे लगाने और अन्य सुरक्षा उपाय करने के लिए धनराशि स्वीकृत कर दी गई है. न्यायालय ने जिला कलेक्टरों को पुलिस अधीक्षक के साथ मिलकर इन उपायों की निगरानी करने का निर्देश दिया.
23 लोगों की गई जान
सिब्बल ने कहा कि डॉक्टरों की अनुपस्थिति के कारण 23 मरीजों की जान चली गई है और छह लाख लोगों को इलाज से वंचित रखा गया है. उन्होंने कहा कि डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन ने स्वास्थ्य व्यवस्था को पंगु बना दिया है. कोई भी रेजिडेंट डॉक्टर आउट पेशेंट डिपार्टमेंट में नहीं आ रहा है. उन्होंने कहा कि हालांकि कोर्ट ने पहले डॉक्टरों को विरोध प्रदर्शन बंद करने और अपनी ड्यूटी पर लौटने का निर्देश दिया था, लेकिन पश्चिम बंगाल के डॉक्टर इसका उल्लंघन कर रहे हैं.
रेजिडेंट डॉक्टरों के एक संगठन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गीता लूथरा ने दलील दी कि डॉक्टर अपनी वास्तविक आशंकाओं के कारण विरोध कर रहे हैं और जूनियर डॉक्टरों को कई धमकियां मिल रही हैं और उन्हें धमकाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि डॉक्टर अस्पतालों के बाहर स्वैच्छिक सेवाएं दे रहे हैं.
डॉक्टरों को झेलना पड़ सकता है एक्शन
न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा कि डॉक्टरों को अपने काम पर लौटना चाहिए. CJI ने कहा कि कल शाम 5 बजे तक काम पर नहीं लौटने पर डॉक्टरों को अनुशासनात्मक कार्रवाई झेलनी पड़ सकती है. मुख्य न्यायाधीश ने मौखिक रूप से कहा, 'हमने दो दिन का समय दिया है. युवा डॉक्टरों को अब वापस लौटना चाहिए और काम पर लौटना चाहिए. हम जानते हैं कि जमीनी स्तर पर क्या हो रहा है... सबसे पहले, काम पर लौटें... जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे. आपको अब काम पर लौटना होगा और यदि आप काम पर नहीं आते हैं, तो फिर आपके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए किसी को जिम्मेदार न ठहराएं. आप यह नहीं कह सकते कि वरिष्ठ काम कर रहे हैं, इसलिए हम नहीं करेंगे...'
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'विरोध कर्तव्य की कीमत पर नहीं हो सकता.' CJI ने कहा, 'यदि डॉक्टर काम पर वापस नहीं आते हैं, तो हम सरकार को अनुशासनात्मक कार्रवाई करने से नहीं रोक सकते, हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि डॉक्टर काम पर वापस लौटें. वे सेवा प्रदान करने के लिए एक प्रणाली में हैं. हम सुविधाएं प्रदान करेंगे, लेकिन उन्हें भी बदले में कुछ देना होगा.'
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