अफजाल की संसद सदस्यता जाने के बाद जानिए अंसारी परिवार का क्या है राजनीतिक भविष्य

माफिया मुख्तार अंसारी के भाई बसपा सांसद अफजल अंसारी को चार साल की सजा के बाद पूर्वांचल में राजनीतिक रसूख रखने वाले परिवार के भविष्य पर सभी राजनीतिक दलों की निगाहें टिकी हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 3, 2023, 04:11 PM IST
  • जानिए क्या है बीजेपी की प्लानिंग
  • समझिए पूरे पूर्वांचल का समीकरण
अफजाल की संसद सदस्यता जाने के बाद जानिए अंसारी परिवार का क्या है राजनीतिक भविष्य

लखनऊः माफिया मुख्तार अंसारी के भाई बसपा सांसद अफजल अंसारी को चार साल की सजा के बाद पूर्वांचल में राजनीतिक रसूख रखने वाले परिवार के भविष्य पर सभी राजनीतिक दलों की निगाहें टिकी हैं. दरअसल बसपा से गाजीपुर के सांसद अफजल अंसारी को कोर्ट ने 29 मार्च को गैंगस्टर मामले में दोषी करार देते हुए चार साल की सजा सुनाई है. इस फैसले के बाद उनकी लोकसभा की सदस्यता रद्द कर दी गई.

5 बार विधायक दो बार सांसद
राजनीतिक दल से मिली जानकारी के अनुसार, अफजल अंसारी पांच बार विधायक और दो बार सांसद का चुनाव जीत चुके हैं. 1985, 1989, 1991, 1993 और 1996 में लगातार पांच बार सीपीआई के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. 2004 में सपा के टिकट पर पहली बार लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की. 2019 में दूसरी बार बसपा के टिकट पर सांसद बने.

गाजीपुर में सियासी अटकलें चालू
अफजाल अंसारी की सांसदी जाने के बाद अब गाजीपुर में सियासी अटकलों का दौर भी शुरू हो गया है. क्षेत्र में गाजीपुर की राजनीति को लेकर तरह तरह की चर्चा है. अंसारी परिवार के सामने एक सवाल खड़ा हो गया है कि उसकी राजनीतिक विरासत कौन संभालेगा? बड़ा भाई और पूर्व विधायक सिबाकतुल्लाह अंसारी, उनके विधायक बेटे सुहैब अंसारी उर्फ मन्नू या मुख्तार का विधायक बेटा अब्बास अंसारी. अब्बास अंसारी खुद जेल में है और उस पर कई मुकदमे दर्ज हैं. अगर उन्हें सजा हो जाती है तो उनके राजनीतिक भविष्य पर ग्रहण लग सकता है.

ये हो सकता है राजनीतिक भविष्य
जानकारों की माने तो सिबाकतुल्लाह और उनके बेटे सुहैब अंसारी, दोनों पर अभी तक कोई बड़ा आपराधिक मुकदमा नहीं है और न मुख्तार के अपराधों में प्रत्यक्ष रूप से इनकी कोई भूमिका अभी तक सामने आई है. लेकिन इन्हें मुख्तार और अफजल से जोड़ कर ही देखा जाता है. मुख्तार अंसारी के मऊ सदर से विधायक व अफजल अंसारी के गाजीपुर से सांसद होने के बाद 2007 में उन्हें अचानक मुहम्मदाबाद सीट से चुनाव लड़ाने का फैसला किया गया. सपा के टिकट पर चुनाव जीते और विधायक बन गए. 2012 में परिवार की पार्टी कौमी एकता दल से फिर विधायक चुने गए. विधानसबा चुनाव 2022 में अंसारी परिवार ने अगली पीढ़ी को लांच किया. सुहैब अंसारी ने 2022 में विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीता. हालांकि राजनीतिक उठापटक के बीच अंसारी बंधुओं के सितारे गर्दिश में चल रहे हैं.

उल्लेखनीय है कि अंसारी परिवार के तीन सदस्य अफजल अंसारी, मुख्तार अंसारी और सिगबतुल्लाह अंसारी बीते कई दशकों से सक्रिय राजनीति में रहे हैं. मुख्तार को पहले भी तीन बार सजा सुनाए जाने की वजह से चुनाव लड़ने पर बंदिश लग चुकी है. मुख्तार का बेटा अब्बास अंसारी वर्तमान में मऊ से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का विधायक है. वहीं, मन्नू अंसारी मोहम्मदाबाद सीट से सपा का विधायक है. फिलहाल मुख्तार के छोटे बेटे उमर अंसारी ने राजनीति में पदार्पण नहीं किया है. मुख्तार की पत्नी अफशां अंसारी फरार हैं. उन पर पुलिस ने इनाम भी घोषित किया है.

बीजेपी की क्या है प्लानिंग
राजनीतिक जानकर बताते हैं कि सत्तारूढ़ दल भाजपा भी यह सीट जीतने के लिए जुगत करेगी. बसपा ने भी लोगों को सक्रिय किया है. भाजपा, सपा दोनो के साथ गठबंधन कर चुके ओपी राजभर भी यहां से दांव आजमाना चाहेंगे. हालांकि निकाय चुनाव होने के कारण किसी पार्टी ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं. वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक अमोदकांत मिश्र कहते हैं कि मैनपुरी-रामपुर-आजमगढ़ में दो सीटों पर भाजपा और एक सीट पर सपा की जीत के बाद गाजीपुर उपचुनाव में एक रोचक मुकाबला हो सकता है. 

हालांकि पिछले चुनाव की अपेक्षा इस बार सियासी समकीरण बिल्कुल अलग होंगे. एक तरफ जहां बसपा मुस्लिम-दलित समीकरण पर फोकस रहा है वहीं अखिलेश मुस्लिम-यादव समीकरण को लेकर आगे बढ़ रहे हैं. इन दोनों के बीच भाजपा मोदी और योगी की नीतियों के सहारे एक बार फिर मैदान में होगी. खासतौर से ऐसे समय में जब अतीक अहमद-अशरफ की हत्या और अंसारी बंधुओं पर नकेल कसने की वजह से भाजपा पूर्वांचल में ध्रुवीकरण कराने में कामयाब साबित हो रही है.

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