जोशीमठ मामला: प्रभावित परिवारों का हो रहा पुनर्वास, जल्द गठित होगी समिति, जानिए उत्तराखंड सरकार ने कोर्ट में क्या कहा?

उत्तराखंड सरकार ने बृहस्पतिवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि अधिकारी जोशीमठ में जमीन धंसने के कारण प्रभावित परिवारों का पुनर्वास कर रहे हैं. अदालत को बताया गया कि क्षेत्र में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल और राज्य आपदा मोचन बल को तैनात किया गया है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 12, 2023, 02:27 PM IST
  • पुनर्वास के लिए जल्द गठित की जाएगी समिति
  • प्रभावित लोगों को दिया जा रहा राहत पैकेज
जोशीमठ मामला: प्रभावित परिवारों का हो रहा पुनर्वास, जल्द गठित होगी समिति, जानिए उत्तराखंड सरकार ने कोर्ट में क्या कहा?

नई दिल्ली: उत्तराखंड सरकार ने बृहस्पतिवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि अधिकारी जोशीमठ में जमीन धंसने के कारण प्रभावित परिवारों का पुनर्वास कर रहे हैं. अदालत को बताया गया कि क्षेत्र में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल और राज्य आपदा मोचन बल को तैनात किया गया है. राज्य सरकार ने कहा कि पुनर्वास पैकेज भी तैयार किया जा रहा है और काफी राहत कार्य चल रहा है. 

पुनर्वास के लिए जल्द गठित की जाएगी समिति

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ को यह जानकारी दी गई जो जोशीमठ में जमीन धंसने के मुद्दे को देखने और प्रभावित परिवारों के पुनर्वास के लिए केंद्र को एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में जल्द समिति गठित करने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी. 

सुप्रीम कोर्ट में भी 16 जनवरी को होगी सुनवाई

याचिकाकर्ता और अधिवक्ता रोहित डंडरियाल ने उच्च न्यायालय को सूचित किया कि इस मुद्दे पर इसी तरह की एक याचिका उच्चतम न्यायालय में भी दायर की गई है, जिस पर 16 जनवरी को सुनवाई होने की संभावना है. पीठ ने याचिका पर आगे की सुनवाई के लिए तीन फरवरी की तारीख तय की. सुनवाई के दौरान, उत्तराखंड के उप महाधिवक्ता जे.के. सेठी ने कहा कि सरकार ने पहले ही वहां एनडीआरएफ और एसडीआरएफ को तैनात कर दिया है और कई लोगों को स्थानांतरित कर दिया गया है. 

प्रभावित लोगों को दिया जा रहा राहत पैकेज

सेठी ने यह भी कहा कि जब इसी तरह की याचिका का शीर्ष अदालत के समक्ष उल्लेख किया गया था, तो उसने कहा था कि वहां लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित प्रतिनिधि हैं जो इस मुद्दे को देख रहे हैं. उन्होंने कहा, “हम लोगों का पुनर्वास कर रहे हैं. उन्हें राहत पैकेज दे रहे हैं. बहुत सारा काम चल रहा है.” उन्होंने कहा कि यह मुद्दा उत्तराखंड से संबंधित है और याचिकाकर्ता को उत्तराखंड उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर करनी चाहिए थी. 

(इनपुट- भाषा)

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