जीतन राम मांझी का विवादित बयान, बुराई के प्रतीक रावण को बताया भगवान राम से बड़ा

पटना में विधानसभा से बाहर मीडिया से बातचीत में मांझी ने कहा कि रावण का कम महिमामंडन किया गया है, वह राम से ज्यादा महान और विद्वान थे. 

Written by - Arun Tiwari | Last Updated : Mar 17, 2023, 09:01 PM IST
  • मांझी ने दिया विवादित बयान.
  • हो सकता है राजनीतिक बवाल.
जीतन राम मांझी का विवादित बयान, बुराई के प्रतीक रावण को बताया भगवान राम से बड़ा

नई दिल्ली. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने बुराई के प्रतीक कहे जाने वाले रावण के पक्ष में विवादित बयान दे दिया है. उन्होंने रावण को भगवान राम से ज्यादा विद्वान बताया है. पटना में विधानसभा से बाहर मीडिया से बातचीत में मांझी ने कहा कि रावण का कम महिमामंडन किया गया है, वह राम से ज्यादा महान और विद्वान थे. 

मांझी ने यह भी कहा कि भगवान राम काल्पनिक थे. उन्होंने अपनी बात के संदर्भ में डिस्कवरी ऑफ इंडिया किताब का जिक्र किया है. उन्होंने यह भी कहा कि लोकमान्य तिलक और राहुल सांकृत्यायन ने भी राम को काल्पनिक माना है. जीतन राम मांझी ने तुलसीदास और वाल्मीकि का भी जिक्र किया. उन्होंने पूछा कि तुलसीदास की पूजा की जाती है तो वाल्मीकि क्यों नहीं?

कुछ समय पहले हो चुका है बड़ा बवाल
बता दें कि बिहार में रावण और भगवान राम की इस तुलना पर नया राजनीतिक बखेड़ा खड़ा हो सकता है. इससे पहले बिहार और यूपी में रामचरित मानस को लेकर बड़ा विवाद हो चुका है. बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर सिंह के बाद यूपी में सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी रामचरित मानस पर विवादित बयान दिया था. इस पर दोनों राज्यों में जमकर बवाल हुआ. भारतीय जनता पार्टी ने इन नेताओं को आड़े हाथों लिया था.

क्या बोले थे चंद्रशेखर?
चंद्रशेखर ने यह कर विवाद पैदा कर दिया था कि तुलसीदास की रामचरितमानस समाज में नफरत फैलाती है. नालंदा ओपन विश्वविद्यालय के 15वें दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा था कि रामचरितमानस और मनुस्मृति समाज को विभाजित करने वाली पुस्तकें हैं.

क्या बोले थे स्वामी प्रसाद मौर्य
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि राम चरित मानस से समाज के कुछ हिस्सों अपमानित महूसस होता है. उनकी बात का इशारा रामचरित मानस की चौपाई- 'ढोल, गंवार, शूद्र, पशु, नारी...सकल ताड़ना के अधिकारी' पर था. उन्होंने कहा था कि इस चौपाई को ग्रंथ से निकाल देना चाहिए.

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