नई दिल्लीः गीतकार जावेद अख्तर ने दिवाली पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि अगर भारत में लोकतंत्र कायम है तो इसकी वजह हिंदू संस्कृति है. यह सोचना कि हम ही सही हैं और दूसरे गलत हैं, यह हिंदू संस्कृति का हिस्सा नहीं है. हालांकि उन्होंने बढ़ती असहिष्णुता पर भी बात की.
एमएनएस के कार्यक्रम में बोले अख्तर
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के मुखिया राज ठाकरे की ओर से आयोजित दीपोत्सव कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए जावेद अख्तर ने ये बातें कहीं. उन्होंने कहा कि अब असहिष्णुता बढ़ रही है लेकिन भारत में लोकतंत्र इसलिए बना हुआ है क्योंकि हिंदू संस्कृति सहिष्णुता वाली है.
'अभिव्यक्ति की आजादी कम हुई है'
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने कहा कि आज जिस तरह की फिल्में बन रही हैं उन्हें परिवार के साथ बैठकर नहीं देखा जा सकता है. यह बात मैं लगातार दोहरा रहा हूं कि अभिव्यक्ति की आजादी कम हुई है. अगर आज हम शोले लिख रहे होते तो मंदिर में अभिनेत्री के साथ धर्मेंद्र के डॉयलॉग्स पर बवाल हो जाता.
हिंदुओं की सोच विशाल रही हैः अख्तर
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने कहा कि इसी प्रकार संजोग फिल्म में ओमप्रकार जैसे गानों में कृष्ण और सुदामा की कहानी सुनाते हैं, ऐसे क्या आज हो सकता है. उन्होंने कहा कि आज असहिष्णुता बढ़ रही है. पहले कुछ लोग असहिष्णु थे. हिंदू वैसे नहीं थे. हिंदुओं की सबसे बड़ी खासियत यही है कि उनकी सोच विशाल रही है.
हिंदुओं की खासियत खत्म नहीं होनी चाहिए
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो जावेद अख्तर ने कहा कि अगर हिंदुओं की विशाल सोच वाली खासियत ही खत्म हो गई तो वो भी अन्य लोगों की तरह हो जाएंगे. यह नहीं होना चाहिए. हमने आपसे ही जीना सीखा है लेकिन क्या हिंदू ही उन मूल्यों को छोड़ देंगे? उन्हें यह नहीं करना चाहिए.
'हिंदू संस्कृति हमें लोकतांत्रिक मूल्य देती है'
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने कहा कि भारत से निकलें तो भूमध्यसागर तक कोई दूसरा ऐसा देश नहीं है जहां लोकतांत्रिक व्यवस्था हो. यहां लोकतंत्र इसलिए हैं क्योंकि यहां जो जैसे चाहे वैसे सोच सकता है. जो मूर्तिपूजक है वो भी हिंदू है, जो मूर्तिपूजक नहीं है वो भी हिंदू है. जो एक देवता को मानता है वो भी हिंदू है और जो सभी देवी-देवताओं को मानता है वो भी हिंदू है. जो किसी की पूजा नहीं करता है वो भी हिंदू है. हिंदू संस्कृति हमें लोकतांत्रिक मूल्य देती है. इस कारण ही भारत में लोकतंत्र जिंदा है.
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