नई दिल्लीः भारत को जहां पूर्व में चीन से वहीं पश्चिम में पाकिस्तान के साथ सीमा सुरक्षा को लेकर खतरा है. समुद्र में भी चीन और पकिस्तान मुश्किलें बढ़ा रहे हैं. ऐसे में भारत अपनी सैन्य और सामरिक क्षमता को लगातार मजबूती देने में लगा हुआ है. समुद्र में दुश्मनों को चुनौती देने के लिए भारतीय नौसेना ने गुरुवार यानी आज मुंबई के मझगांव डॉक पर स्कॉर्पियन श्रेणी की नई पनडुब्बी आईएनएस 'vela' को अपने बेड़े में शामिल किया है.
मेक इन इंडिया के तहत हुई तैयार
भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने आज कमीशनिंग सेरेमनी के जरिए इसे नौसेना के सुपुर्द किया है. आईएनएस वेला एक स्वदेशी पनडुब्बी है, जो 'मेक इन इंडिया' के तहत तैयार की गई है. स्कॉर्पियन श्रेणी की 3 पनडुब्बियों आईएनएस 'कलवरी' और आईएनएस 'खांदेरी' और आईएनएस 'करंज' के बाद वेला चौथी पनडुब्बी होगी.
आईएनएस 'vela' के इंडियन नेवी में शामिल हो जाने के बाद भारत की समुद्री ताकत में असीम इजाफा होगा. वेला एक डीजल-इलेक्ट्रिक पावर्ड अटैक सबमरीन है. पनडुब्बी अटैक मिशन में शामिल हो सकती है, जिसमें एंटी सरफेस वारफेयर, एंटी सबमरीन वारफेयर, खुफिया जानकारी इकट्ठा करना, माइन बिछाने और इलाके की निगरानी कर सकती है.
ये हैं खासियतें
आईएनएस 'vela' प्रोजेक्ट 75 के तहत आधुनिक फीचर्स से लैस स्कॉर्पियन श्रेणी की पनडुब्बी है, जो दुश्मन की नजरों से बचकर सटीक निशाना लगा सकती है. इसके साथ ही यह टॉरपीडो और एंटी शिप मिसाइलों से हमले भी कर सकती है. यह पानी के अंदर भी हमला कर सकती है और साथ ही इसमें पानी के अंदर से सतह पर दुश्मन पर हमला करने की खासियत भी है.
यह पनडुब्बी हर तरह के वॉरफेयर, एंटी-सबमरीन वॉरफेयर और इंटेलिजेंस को इकट्ठा करने जैसे कामों को भी बखूबी अंजाम दे सकती है. पाकिस्तान और चीन की तरफ से समुद्र के अंदर मिलने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए रक्षा मंत्रालय ने 6 अत्याधुनिक पनडुब्बियों की मंजूरी दी थी. इस परियोजना के 6 पनडुब्बियों की सीरीज की यह चौथी पनडुब्बी है. स्कॉर्पियन श्रेणी की इन सभी पनडुब्बियों को 2023 तक भारतीय नौसेना में शामिल करने की योजना है.
यह डीजल-इलेक्ट्रिक अटैक सबमरीन है, जिसे रक्षा मामलों के जानकार साइलेंट किलर का नाम दे रहे हैं. यह दुश्मन को चकमा देकर हमला करने में माहिर है. समुद्र में जब INS वेला गोता लगाती है तो दुश्मन को इसके आने की खबर नहीं लगती.
रडार नहीं कर पाएगा ट्रैक
आईएनएस वेला 221 फीट लंबी है. इसका बीम 20 फीट का है. ऊंचाई 40 फीट और ड्रॉट 19 फीट का है. इसमें चार MTU 12V 396 SE84 डीजल इंजन लगा है. 360X बैटरी सेल्स हैं. इसके अलावा डीआरडीओ की तरफ से बनाया गया PAFC फ्यूल सेल भी है. यानी इसे ताकत देने के लिए बेहतरीन इंजन लगाया गया है. ताकि बिना आवाज के यह तेज गति से दुश्मन की तरफ हमला कर सके.
इसकी खासियत ये है कि रडार भी इसे ट्रैक नहीं कर पाएगा. यह दुश्मन को भनक लगाए बिना ही अपना काम पूरा कर सकती है. इसके अलावा इसे किसी भी मौसम में ऑपरेट किया जा सकता है.
फ्रांस के सहयोग से किया निर्माण
पनडुब्बी का निर्माण मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने मेसर्स नेवल ग्रुप ऑफ फ्रांस के सहयोग से किया है. INS Vela का पिछला अवतार 31 अगस्त, 1973 को सेवा में शामिल किया गया था और यह 25 जून, 2010 को सेवा से हटी थी. इसने 37 वर्षों तक राष्ट्र की महत्वपूर्ण सेवा की थी. PM आईके गुजराल सरकार के समय में 25 पनडुब्बियों के अधिग्रहण के लिए पी 75 पनडुब्बियों के निर्माण के लिए 30 साल की योजना बनाई गई थी. साल 2005 में, भारत और फ्रांस ने छह स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों के निर्माण के लिए $ 3.75 बिलियन के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे. पनडुब्बियों के निर्माण में भारत की ओर से मझगांव डॉक्स लिमिटेड कंपनी कर रही है तो वहीं फ्रांस की ओर से DCNS कार्यरत है.
इसलिए रखा वेला नाम
वेला नाम एक डिकमीशन्ड सबमरीन वेला के नाम पर रखा गया है, जिसने 1973 से 2010 तक नौसेना की सेवा की थी. पहले वेला सोवियत मूल की फॉक्सट्रॉट श्रेणी की पनडुब्बी से संबंधित थी. वेला की लंबाई 67.5 मीटर और ऊंचाई 12.3 मीटर है. बीम का माप 6.2 मीटर है. पानी के भीतर होने पर 20 समुद्री मील की हाईस्पीड और पानी पर यह 11 समुद्री मील स्पीड से चल सकती है. पनडुब्बी में चार MTU 12V 396 SE84 डीजल इंजन और शक्ति के लिए 360 बैटरी सेल हैं और इसमें एक साइलेंट परामनेंटली मैग्नेटाइज्ड मोटर है.
क्या बोले नौसेना अध्यक्ष
वेला के समुद्री परीक्षणों में COVID 19 के कारण से देरी हुई. इस वजह से कमिशनिंग में देरी हुई है, क्योंकि नेवी में सोशल डिस्टेंसिंग संभव नहीं है. वेला को भारतीय नौसेना की पश्चिमी कमान में शामिल किया जाएगा.
इसका बेस मुंबई में होगा. INS वेला भारत के लिए गर्व और गौरव का विषय है, क्योंकि इसका निर्माण आत्मनिर्भर भारत के तहत हुआ है. इससे नौसेना की क्षमता में अभूतपूर्व इजाफा होगा. हम चीन और पाकिस्तान के गठजोड़ पर पूरी नजर बनाए हुए हैं. चीन से काफी हथियार पाकिस्तान को निर्यात हो रहे हैं. इससे यहां के क्षेत्रीय सुरक्षा पर काफी फर्क पड़ेगा. इसके लिए हमें तैयार रहना पड़ेगा.
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