नई दिल्ली. कोरोना के बाद अब दुनिया पर एक और घातक बीमारी मंकीपॉक्स का खतरा मंडरा रहा है. भारत में मंकीपॉक्स के पहले केस की पुष्टी हो चुकी है. केरल में मंकीपॉक्स का पहला केस मिला है. इसी क्रम में मंकीपॉक्स को डिटेक्ट करने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा ऐलान किया है.
पीसीआर टेस्ट से ही माना जाएगा कंफर्म
मंकीपॉक्स पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने गाइडलाइन जारी करते हुए यह कहा है कि, जीनोम सिक्वेंसिंग या पीसीआर टेस्ट से ही मंकीपॉक्स का केस कंफर्म माना जाएगा. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी मंकीपॉक्स के खतरे का स्तर बढ़ाया है. अब निम्न से मध्यम कैटेगरी में मंकीपॉक्स के फैलने का खतरा आ गया है.
क्या है गाइडलाइन
मंकीपॉक्स के लिए जारी की गई गाइडलाइंस के मुताबिक मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्ति की निगरानी की जाएगी. संक्रमित को 21 दिनों के दौरान आइसोलेशन में रखा जाएगा. मंकीपॉक्स का कोई भी संदिग्ध केस पाए जाने पर सैंपल को जांच के लिए पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी भेजा जाएगा. मंकीपॉक्स के दर्जनभर देशों में फैलने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसके खतरे की श्रेणी को निम्न से हटाकर मध्यम कर दिया है.
तेजी से बढ़ रहे हैं मंकीपॉक्स के केस
बता दें कि, मंकीपॉक्स के केस तेजी से अलग अलग देशों में फैल रहे हैं. इस वायरस के मामले उन देशों से भी सामने आ रहे है जो किसी तरह से अफ्रीका से नहीं जुड़े हैं. बता दें कि अफ्रीका में इस बीमारी ने महामारी का रूप ले लिया है. मई में इस वायरस का पहला मामला सामने आया था और अब तक यह दो दर्जन देशों में फैल चुकी है.
ये भी चिंता बढ़ रही है कि यदि यह वायरस जंगली जानवरों मे फैल गया तो फिर इसे कंट्रोल करना मुश्किल हो जाएगा. WHO के मुताबिक यदि यह वायरस कम कमजोर इम्यून सिस्टम वालों को चपेट में लेता है जो जल्द बीमार पड़ते है तो जोखिम बढ़ जायेगा. डब्ल्यूएचओ ने कहा कि मंकी पॉक्स के अचानक सामने आये मामलों से लगता है कि यह संक्रमण मानव द्वारा फैलता है.
यह संक्रिमत व्यक्ति की त्वचा अथवा लार के सम्पर्क में आने से फैलता है. इससे संक्रमित रोगी बिना इस वायरस की पहचान के कई सप्ताह तक घूमता रहता है. ये एक परेशानी की बात है. दरअसल मंकीपॉक्स के लक्षण सामने आने में 7 से 15 दिन तक का वक्त लग सकता है.
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