नई दिल्लीः Haryana Election 2024: साल 2019 के विधानसभा चुनाव में हरियाणा में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था. तब बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी थी लेकिन बहुमत के आंकड़े से दूर थी. ऐसे में सरकार बनाने के लिए जननायक जनता पार्टी (JJP) ने बीजेपी को समर्थन दिया था. करीब एक साल पहले बनी पार्टी 10 सीटें जीतकर किंगमेकर की भूमिका में आ गई थी. लेकिन 2024 का विधानसभा चुनाव आते-आते समीकरण बदल गए हैं.
जेजेपी और बीजेपी के रास्ते हो गए हैं अलग
जेजेपी और बीजेपी के रास्ते अलग हो गए हैं. पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की जेजेपी और दलित नेता चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी (ASP) ने मौजूदा चुनाव में गठबंधन किया है. जेजेपी हरियाणा की स्थानीय पार्टी है और इंडियन नेशनल लोकदल से 2018 में टूटकर निकली है. इसी तरह इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) भी रीजनल पार्टी है और उसका गठबंधन बहुजन समाज पार्टी से है.
साल 2019 में जेजेपी बनी थी किंगमेकर
अहम बात यह है कि ये दोनों ही पार्टी एक ही परिवार से निकली हैं वो है पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल की. जेजेपी जहां 2019 में किंगमेकर की भूमिका में थी तो इनेलो 2000 में 47 सीटें जीतकर सरकार बना चुकी है. लेकिन सवाल ये है कि वर्तमान चुनाव में इन दोनों ही पार्टियों का दावा कितना मजबूत है. क्या वाकई ये पार्टियां मौजूदा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी को चुनौती दे पाएंगी.
लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन रहा था खराब
अगर लोकसभा चुनाव के दौरान दोनों ही पार्टियों का प्रदर्शन देखें तो यह बेहद ही खराब रहा था. जेजेपी को हरियाणा में 1 फीसदी से भी कम वोट हासिल हुए थे जबकि अभय सिंह चौटाला के नेतृत्व वाली इनेलो को करीब 1.75 प्रतिशत वोट मिले थे. इस प्रदर्शन के हिसाब से देखें तो मौजूदा चुनाव में ये दोनों ही रीजनल पार्टियां काफी कमजोर नजर आ रही हैं.
अलग-अलग होने से दोनों को नुकसान
वहीं जेजेपी को किसान आंदोलन के दौरान बीजेपी के साथ सरकार में रहने का भी नुकसान उठाना पड़ सकता है. हालांकि जेजेपी के नेताओं का दावा है कि वे इस बार दूसरे या तीसरे नंबर की पार्टी बनेंगे. वहीं इनेलो को भी पारिवारिक फूट की वजह से खामियाजा भुगतना पड़ सकता है क्योंकि ये दोनों ही पार्टियां चौधरी देवीलाल की विरासत को आगे बढ़ा रही हैं और उनके परिवार का हिस्सा हैं. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि अगर ये साथ में चुनाव लड़तीं तो इन्हें जरूर फायदा होता.
वहीं इनेलो के नेताओं का दावा है कि पार्टी में टूट के कारण उनका वोटर जननायक जनता पार्टी या दूसरी ओर चला गया था लेकिन इस चुनाव में ये वोटर उनका साथ देंगे.
हालांकि राजनीतिक जानकारों की मानें तो इस चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही सीधी लड़ाई है. रीजनल पार्टियां किंगमेकर बनने की भूमिका में भी नहीं हैं. दोनों ही पार्टियों ने दलित वोटों के लिए बीएसपी और एएसपी से समझौता किया है लेकिन इससे जाट और दलित वोटरों के भी बंटने के आसार हैं.
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