नई दिल्ली. ज्ञानवापी केस में चल रही सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों को आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट सौंपने की बात कही गई है. इस संबंध में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा है- आज कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुना और इस बात पर सहमति बनी कि एएसआई के सर्वे की हार्ड कॉपी दोनों पक्षों को मुहैया कराई जाएगी. एएसआई ने ईमेल के जरिए रिपोर्ट भेजने को लेकर आपत्ति जाहिर की थी. इसलिए दोनों ही पक्ष सर्वे की हार्ड कॉपी लेने के लिए तैयार हुए. वाराणसी की जिला अदालत ने बुधवार को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की सर्वे रिपोर्ट सभी पक्षकारों को सौंपे जाने का आदेश दिया.
#WATCH | Gyanvapi case | Advocate Vishnu Shankar Jain, representing the Hindu side, says, "Today, the court heard both sides and a consensus was reached that the hard copy of the ASI's report will be provided to both sides...The ASI objected to providing the report via email. So,… pic.twitter.com/mGPhCADVFc
— ANI (@ANI) January 24, 2024
हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने कहा कि जिला जज ए के विश्वेश ने अपने आदेश में कहा है कि ज्ञानवापी परिसर की सर्वे रिपोर्ट सभी पक्षकारों को सौंपी जाए. मुस्लिम पक्ष ने इस दौरान जिला जज के समक्ष मांग रखी कि सर्वे की रिपोर्ट पक्षकारों तक ही रहे, उसे सार्वजनिक न किया जाए. इस पर जिला जज ने कहा कि सभी पक्षकार रिपोर्ट को अपने तक रखने और सार्वजनिक न करने का बंध पत्र अदालत में जमा करा कर सर्वे रिपोर्ट प्राप्त करें.
वहीं वकील हरि शंकर जैन ने कहा- एएसआई की रिपोर्ट को सार्वजनिक न करने के लिए कई आपत्तियां थीं. लेकिन आज कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुना है. और कोर्ट ने निर्णय किया है कि रिपोर्ट दोनों पक्षों को मुहैया कराई जाएगी. रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी और सभी लोग यह जान सकेंगे कि इसके भीतर क्या है.
#WATCH | Ghaziabad, Uttar Pradesh | On the Gyanvapi case, Advocate Hari Shankar Jain, says, "A lot of objections were raised that do not make the (ASI) report public...Today, the Court heard both sides and decided to make the report available to both parties. The report will be… pic.twitter.com/8R82t201GH
— ANI (@ANI) January 24, 2024
जिला अदालत के पिछले साल 21 जुलाई के आदेश के बाद एएसआई ने काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया था, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया था या नहीं.
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