ज्ञानवापी विवाद: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान, बताया कैसे निपटे विवाद

मोहन भागवत ने कहा कि हर बार विवाद पैदा करना उचित नहीं है, क्योंकि उन्होंने हिंदुओं को अपने मुस्लिम भाइयों के साथ बैठकर सभी विवादों को सुलझाने की सलाह दी.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jun 3, 2022, 08:42 AM IST
  • कहा, हिंदुओं ने विभाजन को स्वीकार कर लिया था
  • भारत में रहने वाले मुसलमान हमारे भाई हैं
ज्ञानवापी विवाद: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान, बताया कैसे निपटे विवाद

नागपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत का ज्ञानवापी विवाद पर बड़ा बयान आया है. गुरुवार को लोगों से चल रहे ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि अगर बातचीत से मामला नहीं सुलझा तो दोनों पक्षों को अदालत के फैसले को स्वीकार करना चाहिए.

यहां आरएसएस कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह में भागवत ने कहा कि हर बार विवाद पैदा करना उचित नहीं है, क्योंकि उन्होंने हिंदुओं को अपने मुस्लिम भाइयों के साथ बैठकर सभी विवादों को सुलझाने की सलाह दी.

बोले, अदालत के फैसले का सम्मान करना चाहिए
उन्होंने कहा, अगर कुछ लोग सहमत नहीं हैं और अदालत का दरवाजा खटखटाते हैं, तो हमें अदालत के फैसले का सम्मान करना चाहिए.

'मुसलमान हमारे भाई हैं'
आरएसएस प्रमुख ने कहा, हिंदुओं ने अखंड भारत के विभाजन को स्वीकार कर लिया था, जिसने एक मुस्लिम देश, पाकिस्तान का मार्ग प्रशस्त किया. इसका मतलब है कि भारत में रहने वाले और पाकिस्तान को नहीं चुनने वाले मुसलमान हमारे भाई हैं.

यह कहते हुए कि संघ केवल राम मंदिर के मुद्दे में शामिल था न कि इस तरह के किसी अन्य आंदोलन में, उन्होंने आरएसएस को विभिन्न आंदोलनों से दूर बताने की भी कोशिश की.

मुस्लिम शासकों ने हिंदू धार्मिक स्थलों को नष्ट कर दिया
भागवत ने यह भी कहा कि यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि मुस्लिम शासकों ने हिंदू धार्मिक स्थलों को नष्ट कर दिया और मस्जिदों का निर्माण किया. उन्होंने कहा कि इतिहास को कोई नहीं बदल सकता है.  

हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों तलाशे
भागवत ने कहा है कि हर मस्जिद में शिवलिंग तलाशने की जरूरत नहीं है. कुछ आस्था के केंद्र हो सकते हैं, लेकिन हर मुद्दे पर लड़ाई क्यों करनी, विवाद क्यों बढ़ाना है. अंतर्राष्ट्रीय मोर्चे पर, भागवत ने स्वीकार किया कि जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो भारत बहुत कुछ नहीं कर सका, यहां तक कि शक्तिशाली चीन भी इस मुद्दे पर अडिग रहा.

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