रांची. झारखंड के सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर ड्यूटी आवर के बाद प्राइवेट प्रैक्टिस की आजादी की मांग को लेकर एक बार फिर आंदोलन की राह पर हैं. राज्य सरकार ने इसके लिए जो नियमावली बनाई है, उसके अनुसार डॉक्टर अपनी ड्यूटी के बाद अधिकतम चार ऐसे हॉस्पिटल्स में ड्यूटी कर सकते हैं जो आयुष्मान भारत योजना के तहत सूचीबद्ध हों.
डॉक्टरों के संगठन झारखंड स्टेट हेल्थ सर्विस एसोसिएशन को सरकार की यह शर्त मंजूर नहीं हैं. एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि अगर यह शर्त वापस नहीं ली जाएगी तो सभी डॉक्टर बेमियादी हड़ताल पर चले जाएंगे. जरूरत पड़ी तो सामूहिक तौर पर इस्तीफा दे देंगे. डॉक्टरों ने तय किया है कि आगामी 21 अक्टूबर से वे बायोमेट्रिक अटेंडेंस नहीं बनायेंगे.
सरकार को दिया 15 दिन का अल्टीमेटम
डॉक्टरों का कहना है कि सरकार उन्हें नॉन प्रैक्टिसिंग अलाउंस (एनपीए) नहीं देती है, इसलिए प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक नहीं लगाई जा सकती. एसोसिएशन ने सरकार से इस मसले पर 15 दिनों के अंदर निर्णय लेने को कहा है.
स्वास्थ्य मंत्री कर चुके हैं बैठक
गौरतलब है कि इसके पहले अगस्त में स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता की अध्यक्षता में आइएमए और झासा के प्रतिनिधिमंडल के साथ त्रिपक्षीय बैठक में तय हुआ था कि सरकारी डॉक्टर अपनी ड्यूटी के बाद कुछ शर्तों के साथ प्राइवेट प्रैक्टिस कर सकते हैं. अब डॉक्टर उन शर्तों का विरोध कर रहे हैं.
पुलिस विभाग से की अपने डिपार्टमेंट की तुलना
डॉक्टरों का कहना है कि जिस तरह सरकार ने पुलिस विभाग को आकस्मिक सेवा बताते हुए बायोमेट्रिक अटेंडेंस से मुक्त रखा है, उसी तरह सरकारी डॉक्टर भी 21 अक्टूबर से बायोमीट्रिक अटेंडेंस नहीं बनाएंगे. सरकार ने डॉक्टरों के सिक लीव पर जाने के लिए मेडिकल बोर्ड की अनुशंसा को जरूरी कर दिया है. इसपर पर भी एसोसिएशन ने एतराज जारी करते हुए आदेश वापस लेने की मांग की है. डॉक्टरों के एसोसिएशन ने पिछले चार वर्षों से कोई प्रमोशन नहीं दिये जाने, ग्रामीण भत्ता नहीं दिये जाने पर भी विरोध दर्ज कराया है.
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