NEET-UG Case in Supreme Court: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) 2024 परीक्षा को रद्द करना तर्कसंगत कदम नहीं होगा, क्योंकि परीक्षा की गोपनीयता के बड़े पैमाने पर उल्लंघन के सबूत नहीं हैं. केंद्र ने कहा कि इस तरह के कदम से उन लाखों ईमानदार अभ्यर्थियों को गंभीर रूप से परेशानी हो सकती है, जिन्होंने प्रश्नों का इमानदारी से उत्तर दिया था.
यह दलील ऐसे समय में दी गई है जब अखिल भारतीय मेडिकल प्रवेश परीक्षा कदाचार, बड़े पैमाने पर प्रश्नपत्र लीक और धोखाधड़ी के आरोपों के कारण विवादों में फंस गई है.
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को अभ्यर्थियों, कोचिंग संस्थानों और नीट-यूजी अभ्यर्थियों के अभिभावकों द्वारा दायर याचिकाओं के जवाब में प्रस्तुत अपने हलफनामे में कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को पिछले महीने परीक्षा आयोजित करने में कथित अनियमितताओं की व्यापक जांच करने के लिए कहा गया है.
केंद्र ने कही बड़ा बात
केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा, 'अखिल भारतीय परीक्षा में गोपनीयता के बड़े पैमाने पर उल्लंघन के किसी भी सबूत के अभाव में, पूरी परीक्षा और पहले से घोषित परिणामों को रद्द करना तर्कसंगत नहीं होगा.'
केंद्र ने कहा कि किसी भी परीक्षा में, प्रतिस्पर्धी अधिकार बनाए जाते हैं, जिससे बड़ी संख्या में उन छात्रों के हितों को भी खतरे में नहीं डाला जाना चाहिए, जिन्होंने बिना किसी अनुचित साधन को अपनाए परीक्षा दी है. हलफनामे में कहा गया है, 'परीक्षा को पूरी तरह से रद्द करने से 2024 में प्रश्नपत्र देने वाले लाखों ईमानदार उम्मीदवारों को गंभीर खतरा होगा.'
गोपनीयता सर्वोच्च प्राथमिकता
केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा कि किसी भी परीक्षा में प्रश्नपत्रों की गोपनीयता सर्वोच्च प्राथमिकता होती है. केंद्र ने कहा, 'अगर कुछ तत्वों के इशारे पर किसी आपराधिक कृत्य के कारण गोपनीयता भंग हुई है, तो भारत संघ का मानना है कि उक्त व्यक्ति के साथ सख्ती से निपटा जाना चाहिए और कानून की पूरी ताकत के साथ यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उन्हें दंडित किया जाए.'
NTA ने भी डाला हलफनामा
केंद्र के बाद, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने भी NEET-UG परीक्षा रद्द करने का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया. इसमें कहा गया कि गड़बड़ी केवल पटना और गोधरा केंद्रों में हुई थी और व्यक्तिगत घटनाओं के आधार पर पूरी परीक्षा रद्द नहीं की जानी चाहिए.
क्या है मामला?
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित मेडिकल प्रवेश परीक्षा में देश भर के 4,750 केंद्रों पर लगभग 2.4 मिलियन छात्रों ने भाग लिया था. एनटीए के इतिहास में अभूतपूर्व रूप से 67 छात्रों ने 720 का परफेक्ट स्कोर प्राप्त किया था, जिसमें फरीदाबाद के एक ही केंद्र से छह छात्रों का नाम शामिल था, जिससे धांधली की आशंका बढ़ गई थी.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
शीर्ष अदालत 8 जुलाई को कई याचिकाओं पर सुनवाई करेगी, जिनमें परीक्षा में अनियमितताओं का आरोप लगाने वाली और इसे नए सिरे से आयोजित करने का निर्देश देने की मांग करने वाली याचिकाएं भी शामिल हैं. इन याचिकाओं पर भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ सुनवाई करेगी.
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