UP की इन दो सीटों पर उपचुनाव की घोषणा, स्वार विधानसभा पर रहेगी निगाह

उत्तर प्रदेश की दो सीटों पर उपचुनाव होने हैं. चुनाव आयोग की प्रेस कांफ्रेंस में दी गई जानकारी के अनुसार रामपुर की स्वार टांडा विधानसभा सीट और मिजार्पुर की छानबे सीट पर 10 मई को वोट डाले जाएंगे, वहीं 13 मई को परिणाम घोषित होगा.

Written by - Akash Singh | Last Updated : Mar 29, 2023, 07:32 PM IST
  • जानिए क्यों खाली हुई थी ये सीट
  • इस सीट पर सभी की रहेगी नजर
UP की इन दो सीटों पर उपचुनाव की घोषणा, स्वार विधानसभा पर रहेगी निगाह

लखनऊः उत्तर प्रदेश की दो सीटों पर उपचुनाव होने हैं. चुनाव आयोग की प्रेस कांफ्रेंस में दी गई जानकारी के अनुसार रामपुर की स्वार टांडा विधानसभा सीट और मिजार्पुर की छानबे सीट पर 10 मई को वोट डाले जाएंगे, वहीं 13 मई को परिणाम घोषित होगा.रामपुर की स्वार सीट पर सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान के बेटे की सदस्यता जाने के बाद चुनाव होने जा रहा है. इस पर सीट पर सबसे ज्यादा लोगों की निगाहें हैं.

अब्दुल्ला की सदस्यता हुई थी रद्द
दरअसल पिछले दिनों सपा के वरिष्ठ नेता आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम खां की विधानसभा सदस्यता रद्द हुई थी. इसके बाद विधानसभा सचिवालय ने इस सीट को रिक्त घोषित कर दिया था. गौरतलब है कि मुरादाबाद की अदालत ने अब्दुल्ला को 2 साल की सजा सुनाई थी. वहीं, मिजार्पुर की छानबे सीट, विधायक राहुल कौल के निधन के बाद से खाली है.

छानबे विधानसभा में भी चुनाव
छानबे विधानसभा से अपना दल (एस) के विधायक राहुल प्रकाश कोल का कैंसर से निधन हो गया था. उनके पिता पकौड़ी कोल अपना दल (एस) से राबर्ट्सगंज (सोनभद्र) से सांसद हैं. उनके निधन के बाद से छानबे सीट खाली है.सपा के राष्ट्रीय महासचिव आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम स्वार टांडा से विधायक थे. 13 फरवरी को मुरादाबाद की अदालत ने उन्हें सरकारी कार्य में बाधा डालने और जाम लगाने के आरोप में दो साल की सजा सुना दी थी. 15 फरवरी को उनकी विधायकी रद्द करते हुए सीट रिक्त घोषित कर दी गई. अब यहां उपचुनाव होने जा रहा है. अब्दुल्ला आजम साल 2017 में पहली बार स्वार टांडा से विधायक चुने गए थे. तब नामांकन के दौरान ही उनकी उम्र को लेकर आपत्ति जताई गई थी.

वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में अब्दुल्ला फिर स्वार से चुनाव लड़े और जीते, लेकिन अब सजा होने के कारण उनकी विधायकी चली गई और उपचुनाव हो रहा है. इससे पहले उनके पिता आजम खां की भी विधायकी सजा होने के कारण चली गई थी और उपचुनाव में भाजपा जीत गई.ज्ञात हो कि अब्दुल्ला आजम शायद एकमात्र ऐसे राजनेता हैं जिसकी विधायकी तीन साल के अंदर दो बार निरस्त हुई हो. 

अब्दुल्ला आजम 2017 के विधानसभा चुनाव में स्वार सीट से निर्वाचित हुए थे. उनके निर्वाचन को उनके मुकाबले चुनाव लड़ने वाले बसपा के प्रत्याशी नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां ने हाईकोर्ट में चुनावी याचिका दायर कर चुनौती दी थी. आरोप था कि चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करते वक्त अब्दुल्ला की उम्र 25 साल से कम थी. हाईकोर्ट ने 16 दिसंबर 2019 को उनके निर्वाचन को रद्द कर दिया था.

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