नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश के अयोध्या में 12 साल की बच्ची के साथ गैंगरेप मामले में जब से सपा नेता मोईद खान का नाम आया है, तब से ही तमाम राजनीतिक दल समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव पर निशाना साध रहे हैं. उधर अखिलेश ने एक पोस्ट के जरिए इस मामले में डीएनए टेस्ट की वकालत की. अब अखिलेश के इस पोस्ट पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने संज्ञान लिया है.
प्रियंक कानूनगो की आपत्ति
बाल आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने आपत्ति जताते हुए कहा कि 12 साल की लड़की का कई लोगों के द्वारा बलात्कार किया गया. जिसके परिणामस्वरूप वह गर्भवती हुई. अखिलेश यादव का बयान दिखाता है कि एक आदमी को पकड़ लीजिए और उनके प्यारे को छोड़ दीजिए. बहुत सोच-समझकर अखिलेश यादव ने यह बयान दिया है. जिससे आरोपी को बचाया जा सके.
अखिलेश ने पोस्ट में क्या कहा?
अखिलेश ने पोस्ट में लिखा था कि कुकृत्य के मामले में जिन पर भी आरोप लगा है उनका डीएनए टेस्ट कराकर इंसाफ का रास्ता निकाला जाए न कि केवल आरोप लगाकर सियासत की जाए. जो भी दोषी हो उसे कानून के हिसाब से पूरी सजा दी जाए, लेकिन अगर डीएनए टेस्ट के बाद आरोप झूठे साबित हों तो सरकार के संलिप्त अधिकारियों को भी न बख्शा जाए. यही न्याय की मांग है.
इस पर बाल आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि अखिलेश यादव एक सांसद हैं और सांसद बच्चों के संरक्षण के लिए कानून बनाते हैं. बच्चे बहुत ही उम्मीद के साथ सांसद की ओर देखते हैं कि यह उनकी रक्षा करेगा. उसके बावजूद अखिलेश यादव का यह बयान उसी डीएनए का परिचायक है, जब उनके पिता स्वर्गीय मुलायम सिंह यूपी में नाबालिग लड़कियों का बलात्कार होता था तो कहते थे, लड़के हैं इनसे गलती हो जाती है. जो डीएनए इस तरह के बयान देता था, आने वाली पीढ़ी ऐसे ही बयान दे रही है. देश के सांसदों को बच्चों के प्रति संवेदनशीलता के साथ सोचना चाहिए. ऐसे बयानों से आरोपियों को बचाने का प्रयास नहीं करना चाहिए.
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