नई दिल्ली: AMU History: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया. जस्टिस DY चंद्रचूड़ ने अपने फैसले में AMU का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रकने का फैसला सुनाया है. केस पर आगे की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की दूसरी बेंच करेगी. हालांकि, ये तय नहीं हुआ है कि AMU अल्पसंख्यक संस्थान है या नहीं. आइए, AMU का इतिहास पढ़ते हैं.
पहले ये था AMU का नाम
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना साल 1875 में सर सैयद अहमद खान ने किया. तब प्राइवेट यूनिवर्सिटीज के निर्माण की इजाजत नहीं मिलती थी. लिहाजा, इसे मदरसे के तौर पर स्थापित किया गया. ऐसा कहा जाता है कि इसे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की तर्ज पर बनाया गया था. तब AMU का नाम मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल (MAO) हुआ करता था.
पहले नाम बदला, फिर गैर-मुस्लिमों को मिली एंट्री
साल 1920 में इसका नाम अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बनाया गया था. इसी साल AMU को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया मिला था. बता दें कि साल 1920 में ब्रिटिश सरकार की सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली के जरिये AMU एक्ट लाया गया था. पार्लियामेंट ने साल 1951 में AMU तरमीमी एक्ट पास किया. इसके बाद यूनिवर्सिटी के दरवाजे गैर-मुस्लिमों के लिए खुले. इससे पहले यहां पर सिर्फ मुस्लिम छात्र पढ़ा करते थे.
AMU में क्या सुविधाएं?
जब अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी शुरू हुई, तब यहां 15 विभाग थे. अब यूनिवर्सिटी में 108 से अधिक विभाग हैं. यह यूनिवर्सिटी 1200 एकड़ में फैली हुई है. अब इस यूनिवर्सिटी में 300 से अधिक कोर्स हैं. AMU से एफिलिएटेड 7 कॉलेज, 2 स्कूल, 2 पॉलिटेक्निक कॉलेज और 80 हॉस्टल हैं. AMU की मौलाना आजाद लाइब्रेरी में करीब 13.50 लाख किताबें हैं.
ये नामी चेहरे AMU में पढ़े
भारत के तीसरे राष्ट्रपति डॉ जाकिर हुसैन
भारत रत्न से सम्मानित खान अब्दुल गफ्फार खान
पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान
भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अली अंसारी
पूर्व क्रिकेटर लाला अमरनाथ
शायर कैफी आजमी
शायर राही मासूम रजा
गीतकार जावेद अख्तर
अभिनेता नसीरुद्दीन शाह
प्रो इरफान हबीब
उर्दू कवि असरारुल हक मजाज़
शायर शकील बदायूंनी
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