आरक्षित रेल टिकट में पुरुष को बताया महिला, रेलवे को देना पड़ा 55 हजार का जुर्माना

2009 में हुई यात्रा के 13 वर्ष बाद यात्री को उपभोक्ता अदालत से न्याय मिला है. रेलवे के रिजर्वेशन टिकट पर पुरुष को महिला बता दिया था. जिसके चलते अब रेलवे को 55 हजार का जुर्माना देना पड़ा.

Written by - Nizam Kantaliya | Last Updated : Jul 20, 2022, 03:24 PM IST
  • रेलवे को चुकाना पड़ा 55 हजार का जुर्माना
  • पुरुष को रेल टिकट में बताया दिया था महिला
आरक्षित रेल टिकट में पुरुष को बताया महिला, रेलवे को देना पड़ा 55 हजार का जुर्माना

नई दिल्ली: रिजर्वेशन टिकट जारी करते वक्त लिपिक से हुई एक शब्द की गलती से रेलवे पर 55 हजार का जुर्माना लगाया गया है. राजस्थान के जोधपुर निवासी महेश परिहार ने वर्ष 2009 में अहदाबाद से जोधपुर के लिए टिकट बुक कराया था.

क्या है महेश परिहार का मामला?

रेलवे के लिपिक ने महेश परिहार को मेल (Male) की जगह फीमेल (Female) दर्शाते हुए टिकट जारी कर दिया. टिकट में गलती होने पर उसे रद्द कराते हुए महेश परिहार ने दूसरा टिकट जारी करवाया, लेकिन एक बार फिर से लिपिक ने उसे फीमेल ही अंकित कर दिया.

टिकट बदलने के आवेदन के बावजूद रेलवे कर्मचारी द्वारा टिकट नहीं ​बदला गया. जिसके यात्री ने उसी टिकट के आधार पर अहमदाबाद से जोधपुर की यात्रा पूर्ण की.

गलती के चलते लगा 330 रुपये का जुर्माना

यात्रा के दौरान ट्रेन में टी टी ने उस टिकट को वैध मानते हुए यात्रा की अनुमति दी. लेकिन जोधपुर प्लेटफार्म पर जांच करने वाले अन्य टीटी ने उक्त टिकट को मानने से इंकार करते हुए यात्री महेश परिहार पर 330 रुपये का जुर्माना लगाया. जिससे आहत होकर महेश परिवार ने जिला उपभोक्ता मंच के समक्ष वाद पेश कर मानसिक हर्जाना दिलाने की मांग की.

रेलवे ने यात्री के वाद का विरोध किया और कहा कि टिकट खिड़की छोड़ने से पूर्व टिकट चेक करने की जिम्मेदारी यात्री स्वयं की है. जोधपुर प्लेटफॉर्म पर वसुले गये जुर्माने को भी रेलवे ने यात्री के पास टिकट नही होना बताया. इसके बावजूद रेलवे की ओर से इस तथ्य को स्वीकार किया गया कि आरक्षित टिकट में लिपिकिय त्रुटि के चलते मेल को फिमेल के रूप में अंकित हो गया.

अदालत ने मामले में क्या कहा? जानिए

​उपभोक्ता अदालत ने रेलवे के इस तर्क को उचित मानने से इंकार कर दिया कि परिवादी यात्री के पास ट्रेन का टिकट नहीं होने के चलते जोधपुर प्लेटफॉर्म पर जनरल कोच में बिना टिकट यात्रा करने का जुर्माना लगाया गया हैं.

अदालत ने कहा कि परिवादी यात्री के पास उसी ट्रेन का आरक्षित टिकट होने के बावजूद जनरल कोच में अवैध तरीके से यात्रा करने के लिए जुर्माना लगाया जाना उचित प्रतीत नहीं होता और यह अनुचित व्यवहार- व्यापार को साबित करता है.

सैकड़ों यात्रियों के बीच लज्जित होना पड़ा

उपभोक्ता अदालत ने माना कि एक यात्री के पास टिकट होने के बावजूद उसे सैकड़ों यात्रियों के बीच लज्जित होना पड़ा है, पुलिस के हवाले करने की धमकी देकर अपराधी की तरह व्यवहार करने के चलते भी मानसिक और शारीरिक वेदना हुई है.

उपभोक्ता अदालत ने रेलवे को परिवादी यात्री से बिना टिकट यात्रा के तौर पर वसुली गयी जुर्माना राशि मय 9 प्रतिशत ब्याज के लौटाने के आदेश दिये हैं. साथ ही शारीरिक और मानसिक वेदना की एवज में 50 हजार रुपये और परिवाद व्यय के रूप में 5 हजार रुपये भुगतान करने के आदेश दिये हैं. ये आदेश उपभोक्ता अदालत की सदस्य डॉ अनुराधा व्यास और डॉ श्यामसुंदर लाटा द्वारा संयुक्त रूप से दिया गया.

इसे भी पढ़ें- रानिल विक्रमसिंघे बने श्रीलंका के नए राष्ट्रपति, पद संभालते ही क्या कहा?

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.

ट्रेंडिंग न्यूज़