मुंबई: आरडी बर्मन या पंचम दा ऐसे संगीतकार थे जिनके बारे में इस बात पर ज्यादातर लोग सहमत होते हैं कि उन्होंने बॉलिवुड में संगीत की परिभाषा बदल दी थी लेकिन सिर्फ यही उनका कमाल नहीं था. उनकी सबसे बड़ी ताकत यह है कि उनके म्यूजिक को सुनते समय पीढ़ियों का अंतर मिट जाता है.
'हमने तुमको देखा-तुमने हमको देखा'
60 से 80 के दशक में जब पंचम दा अपने शिखर पर थे तो उन्होंने उस जमाने के युवाओं को अपना दीवाना बनाया लेकिन आज जब 2021 में उनको गुजरे हुए 27 साल हो गए हैं तब भी वो यंगस्टर्स को लुभा रहे हैं. 'गिली गिली अख्खा' से लेकर 'हमने तुमको देखा' जैसे गानों का संगीत आपको सड़क पर चलते हुए यूं ही सुनाई पड़ जाएगा. वैसे भी आज सबसे ज्यादा रीमिक्स उनके गानों के हो रहे हैं और यंगस्टर्स उसे हाथोहाथ ले रहे हैं.
फिलहाल लोग तो उनके इतने दीवाने हैं कि कहते हैं अगर फिल्म इंडस्ट्री के म्यूजिक का बंटवारा करना है तो पंचम दा के पहले और पंचम दा के बाद के आधार पर कर सकते हैं. हालांकि इस बात से किसी को भी इंकार नहीं है कि उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री के ग्रामर को बदल दिया था.
बॉलीवुड के संगीत की दुनिया पर किया राज
करीब दो दशकों तक उन्होंने बॉलीवुड के संगीत की दुनिया पर राज किया और इतने ज्यादा प्रयोग किए कि उनका संगीत सबसे अलहदा हो गया. कंघी, कांच की बोतल, रेगमाल रगड़कर, झींगुर की आवाज, बारिश की बूंदों को रिकॉर्ड करके उन्होंने ऐसा म्यूजिक निकाला जो कई मशहूर गीतों की वजह बन गया. संगीत प्रेमी उनके इन प्रयोगों से हर बार भौचक्का रह जाते थे. इसके अलावा पंचम ने खुद की आवाज के साथ भी कई तरह के प्रयोग किए. ‘दुनिया में लोगों को’ गीत में सांसों पर कंट्रोल करके ‘हाहा..हा..हाहाहा’ की साउंड उनमें से एक उदाहरण है.
वैसे अगर पंचम दा की बात हो रही है तो गुलजार, आशा भोसले और किशोर कुमार के बगैर पूरी नहीं हो सकती है. इन चारों की टीम ने हमारी फिल्म इंडस्ट्री ढेरों अमरगीत दिए हैं. इस टीम का लेकर ढेरों किस्से भी हैं. एक किस्सा गुलजार सुनाया करते हैं. एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि जब वो 'इजाजत' फिल्म का गाना 'मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है' पंचम दा को सुना रहे थे तो पंचम को लगा कि उन्हें कोई सीन सुनाया जा रहा है. जब मैंने उन्हें बताया कि ये गीत है तो वो थोड़ा गुस्सा होकर बोले, 'कल को तुम कोई न्यूज पेपर लेकर आ जाओगे और कहोगे कि चलो गाना बनाओ.' हालांकि बाद में पंचम दा ने उस गाने का संगीत दिया और यह गाना अमर हो गया. आज भी ये गाना लोगों के जुबान पर रहता है.
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चाय के ठंडे होने का इंतजार भी नहीं करते थे
इसी तरह का एक किस्सा यह भी है कि पंचम दा बहुत उतावले इंसान थे. जब वह म्यूजिक बना रहे होते थे तो बेचैन रहते थे. उस समय वो गर्मागर्म चाय के ठंडे होने का इंतजार भी नहीं करते थे. वो चाय को पानी में डालकर जल्दी से पी जाते थे. हालांकि यह दूसरी बात है कि जितना उतावनापन वो म्यूजिक बनाते हुए दिखाते थे, म्यूजिक बनकर तैयार होने के बाद उसमें उतना ही ठहराव दिखता है.
ऐसा ही एक किस्सा आरडी बर्मन को पंचम दा बुलाए जाने को लेकर भी है. कहा जाता है बचपन में जब वे रोते थे तो पंचम सुर की ध्वनि सुनाई देती थी, जिसके चलते उन्हें पंचम कह कर पुकारा गया. कुछ लोगों के मुताबिक अभिनेता अशोक कुमार ने जब पंचम को छोटी उम्र में रोते हुए सुना तो कहा कि 'ये पंचम में रोता है' तब से उन्हें पंचम कहा जाने लगा.
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आखिरी फिल्म उनके मौत के बाद रिलीज हुई
आपको बता दें कि पंचम दा के पिता मशहूर संगीतकार सचिन देव बर्मन थे. पंचम दा ने अपने करियर की शुरुआत पिता के सहायक के रूप में ही की थी. बाद में उन्होंने स्वतंत्र रूप से संगीत देना शुरू किया और अपने करियर के दौरान लगभग 300 फिल्मों में संगीत दिया. महज नौ बरस की उम्र में उन्होंने अपना पहला संगीत ‘ऐ मेरी टोपी पलट के आ’ को दिया, जिसे फिल्म ‘फंटूश’ में उनके पिता ने इस्तेमाल किया और उनके संगीत से सजी आखिरी फिल्म उनके मौत के बाद रिलीज हुई.
दरअसल, यह मास्टर संगीतकार भी असफलता के भंवर में फंसने से खुद को रोक नहीं सका. 80 के दशक के अंत में एक ऐसा दौर आया जबकि फिल्मकारों ने नए म्यूजिक डायरेक्टरों के आने के बाद पंचम से दूरी बनानी शुरू कर दी. इसी बीच उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वह लंबे समय तक अस्पताल में भी रहे. जिससे उनके हाथ से रही सही फिल्में भी निकल गई. उनका म्यूजिक भी हिट नहीं हो रहा था और लोगों ने उन्हें अकेला छोड़ दिया.
हालांकि आरडी बर्मन ने भी अपने आखिरी फिल्मी एलबम से दुनिया को करारा जवाब दिया. पंचम की आखिरी फिल्म ‘1942 अ लव स्टोरी’ उनके मरने के बाद रिलीज हुई. इस फिल्म के संगीत ने सफलता के नए आयाम रचे. हालांकि अपनी 'आखिरी सफलता' को देखने से पहले ही वे दुनिया से विदा हो चुके थे. चार जनवरी 1994 को 55 साल की आयु में उनका निधन हो गया था.
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