जब थिएटर के बाहर झोला फैलाकर खड़े हो जाते थे हिंदी सिनेमा के 'मुगल-ए-आजम' Prithviraj Kapoor, जानें दिलचस्प किस्सा

Prithviraj Kapoor death anniversary: कपूर परिवार के मुखिया पृथ्वीराज कपूर ने एक थिएटर कलाकार के रूप में अपने अभिनय करियर का श्री गणेश किया था. उन्होंने हिंदी सिनेमा को कई यादगार फिल्में दी है.

Written by - Manushri Bajpai | Last Updated : May 29, 2023, 09:52 AM IST
  • हिंदी सिनेमा के 'मुगल-ए-आजम' थे पृथवीराज कपूर
  • 24 साल की उम्र में निभाए हर उम्र के किरदार
जब थिएटर के बाहर झोला फैलाकर खड़े हो जाते थे हिंदी सिनेमा के 'मुगल-ए-आजम' Prithviraj Kapoor, जानें दिलचस्प किस्सा

नई दिल्ली: Prithviraj Kapoor death anniversary: हिंदी सिनेमा से कपूर खानदान का बहुत पुराना रिश्ता है. इस रिश्ते की नींव पृथ्वीराज कपूर ने रखी थी. हिंदी सिनेमा के  'मुगल-ए-आजम' कहे जाने वाले पृथ्वीराज कपूर साल 1928 में पाकिस्तान छोड़कर बंबई आकर बस गए थे. यहां उन्होंने इंपीरियल फिल्म कंपनी में काम किया. 1929 की फिल्म 'सिनेमा गर्ल' में मुख्य भूमिका निभाने से पहले उन्होंने कई छोटे-छोटे किरदार निभाए थे. इसके बाद 1931 में भारत की पहली बोलती फिल्म आलम आरा में सहायक की भूमिका में नजर आए थे.

इस फिल्म से बने थे सुपरस्टार 

साल 1941 में सोहराब मोदी के निर्देशन में बनी फिल्म 'सिकंदर' ऐसी फिल्म थी जिसने पृथ्वीराज कपूर की किस्मत बदल दी थी. उन्हें इस फिल्म ने सुपरस्टार बना दिया था. इस फिल्म में पृथ्वीराज कपूर, सोहराब मोदी और जहूर राजा लीड में थे.हिंदी सिनेमा में अपार सफलता अर्जित करने के बाद इस फिल्म को पारसी में भी रिलीज किया गया. द्वितीय विश्वयुद्ध और भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान बनी इस फिल्म ने हिंदी सिनेमा को एक नया मुकाम और दुनिया में पहचान दिलाई.

झोला फैलाकर थिएटर के बाहर होते थे खड़े

कहा जाता है कि पृथ्वीराज कपूर बहुत ही दयालू लेकिन अनुशासन पसंद इंसान थे. थिएटर में हर शो के बाद पृथ्वीराज गेट पर एक झोला लेकर खड़े हो जाते थे. इससे शो के निकलने वाले लोग उस थैले में कुछ पैसे डाल दिया करते थे. इन पैसों से पृथ्वीराज थिएटर में काम करने वाले कर्मचारियों की मदद करते थे.

पृथ्वीराज ने लगभग 16 के करियर में पृथ्वी थिएटर में लगभग 2662 नाटकों का निर्देशन किया है. बात वर्तमान की करें तो अब इसकी देखभाल शशि कपूर की बेटी संजना कपूर करती हैं.

24 साल की उम्र में निभाया बुढ़ापे तक का किरदार

साल 1931 में आई फिल्म 'आलमआरा' में उन्होंने 24 साल की उम्र में ही जवानी से लेकर बुढ़ापे तक की भूमिका निभाकर हर किसी का दिल जीत लिया था.  वहीं, फिल्म 'मुगल ए आजम' में उनके आइकॉनिक अकबर के किरदार को आज भी लोग याद करते हैं. कई साल फिल्म और कई थिएटरों से जुड़े रहने के बाद पृथ्वीराज ने 1944 में पृथ्वी थिएटर की नींव रखी थी. यह समूह देश भर में घूम घूमकर कला प्रदर्शन करता था.

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