नई दिल्ली: निर्देशक लीना मणिमेकलाई (Leena Manimekalai) इन दिनों अपनी अपकमिंग डॉक्युमेंट्री 'काली' को लेकर चर्चा में बनी हुई हैं. लीना पिछले कई दिनों से विवादों में फंसी हुई हैं. पोस्टर में मां काली को जिस तरह से दिखाया गया है, उससे हिंदू समुदाय के लोगों को काफी ठेस पहुंची है. दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को लीना मणिमेकलाई के खिलाफ उनकी डॉक्यूमेंट्री 'काली' के विवादास्पद पोस्टर को लेकर एक याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी.
29 अगस्त को सुनवाई करेगी अदालत
फिल्म निर्माता लीना मणिमेकलाई के खिलाफ स्थायी रोक के आग्रह वाली याचिका पर 29 अगस्त को सुनवाई करेगी. शनिवार को मामले की सुनवाई होनी थी, लेकिन न्यायाधीश के अवकाश पर होने के कारण इसे स्थगित कर दिया गया. शनिवार को याचिकाकर्ता और अधिवक्ता राज गौरव ने भी अतिरिक्त दस्तावेज रिकार्ड में लेने के लिए एक आवेदन दाखिल किया.
'काली' को लेकर चर्चा में हैं लीना मणिमेकलाई
याचिका में दावा किया गया है कि, 'वादी अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करना चाहता है जो ऐसे ट्वीट हैं जो सीधे वादी के मामले से संबंधित हैं और जो मामले की योग्यता को प्रभावित कर सकते हैं.' इसने कहा कि याचिकाकर्ता मुकदमा दायर करते समय इन दस्तावेजों को जमा नहीं कर सका क्योंकि फिल्म निर्माता ने ये ट्वीट बाद में किए थे.
इनमें ट्वीट के स्क्रीनशॉट हैं जो 7 और 21 जुलाई के दो ट्वीट शामिल हैं. इससे पहले 11 जुलाई को, अतिरिक्त वरिष्ठ सिविल जज अभिषेक कुमार ने मुकदमे का समन और निषेधाज्ञा का नोटिस जारी किया था और कहा था कि किसी भी आदेश को पारित करने से पहले फिल्म निर्माता को सुनने की जरूरत है.
क्या है मामला?
अधिवक्ता की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि फिल्म निर्माता द्वारा ट्वीट किये गये फिल्म के पोस्टर में हिंदू देवी काली को सिगरेट पीते हुए दिखाया गया है, जो न केवल हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करता है, बल्कि नैतिकता और शालीनता की मूल बातों के भी खिलाफ है.
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