नई दिल्ली: महेश भट्ट (Mahesh Bhatt) को लीक से हटकर फिल्में बनाने के लिए जाना जाता है. उन्होंने लंबे फिल्मी करियर में एक से एक सुपरहिट फिल्में दी हैं. इसके अलावा वह लगभग सभी कलाकारों के साथ काम कर चुके हैं. ऐसे में महेश भट्ट वो शख्स हैं जिन्होंने इंडस्ट्री को बहुत करीब से देखा है. ऐसे में कई सितारों और फिल्मी दुनिया पर ऐसे खुलासे कर चुके हैं जिनके बारे में शायद ही किसी को कोई जानकारी हो. इस बार महेश ने अपने एक इंटरव्यू में प्रसिद्ध गायक जगजीत सिंह को लेकर एक भावुक कर देने वाला खुलासा किया है.
1990 में हुआ था हादसा
दरअसल, गजल गायक जगजीत सिंह पर 1990 में उस समय दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था जब उन्होंने एक कार एक्सीडेंट में अपने 20 साल के बेटे को खो दिया था. उस समय जगजीत सिंह पूरी तरह से टूट गए थे. इस हादसे के लंबे समय बाद तक कोई गाना नहीं गाया था. इसी हादसे के सालों बाद अब महेश भट्ट ने खुलासा किया है कि उस समय जगजीत सिंह को अपने बेटे का शव हासिल करने के लिए जूनियर अधिकारियों को रिश्वत देनी पड़ी थी.
महेश भट्ट ने किया खुलासा
अपने हालिया इंटरव्यू में महेश भट्ट को अनुपम खेर से बात करते हुए देखा गया. इस दौरान वह दिग्गज एक्टर की फिल्म 'सारांश' के बारे में बात करते हैं. इसी सिलसिले में बात करते हुए उन्हें जगजीत सिंह के बेटे के निधन की बात भी याद आई और उन्होंने इस खुलासे से सभी को हैरान कर दिया.
2009 में बेटी का भी हो गया निधन
महेश भट्ट ने आगे अपने इंटरव्यू में कहा, 'जब जगजीत सिंह के बेटे की कार एक्सीडेंट में मौत हुई, तो उन्होंने मुझे बताया कि उन्हें अपने बेटे का शव लेने के लिए जूनियर अधिकारियों को रिश्वत देनी पड़ी और इसी ने उन्हें 'सारांश' के महत्व का एहसास भी दिलाया. कैसे एक आम आदमी अपने ही शव को हासिल करने के लिए संघर्ष करता है. यह फिल्म के लिए एक रेफरेंस प्वाइंट बना. बेटे की मौत के बाद, जगजीत की पत्नी और मशहूर सिंगर चित्रा सिंह ने हमेशा के लिए गाना बंद कर दिया. वहीं, कपल ने 2009 में अपनी बेटी को भी खो दिया.'
1984 में बनी फिल्म
गौरतलब है कि 1984 में रिलीज हुई फिल्म 'सारांश' ने हाल ही में अपनी रिलीज के 40 साल पूरे किए हैं. फिल्म में अनुपम खेर, रोहिणी हत्तांगड़ी और सोनी राजदान जैसे सितारे लीड रोल में दिखे. फिल्म में मुंबई में रहने वाले एक बुजुर्ग जोड़े की कहानी दिखाई गई है, जो अपने इकलौते बेटे को खो देते हैं. इसके बाद उन्हें उस अकेलेपन और दुख से उबरने में कोशिश कितनी कोशिशें करनी पड़ती हैं, यह सब 'सारांश' में देखने को मिलेगा.