नई दिल्ली: Jagjit Singh Death Date: 10 अक्टूबर 2011, ये वो दिन थास जब गजब सम्राट जगजीत सिंह ने हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह दिया. आज भी उनके चाहने वालों के दिलों में उन्हें खोने का गम है. जगजीत बेशक हमारे बीच मौजूद हैं, लेकिन अपनी मखमली आवाज के साथ वह हमेशा दिलों में बसे रहेंगे. उनकी गजलों सबसे अलहदा थीं. इनमें डूब कर कोई आशिक हो जाए, तो वहीं दिल टूटे आशिक को अपना दर्द बयां करने के लिए शब्द मिल जाते थे. जिंदगी के हर पड़ाव को समझाने से लेकर महफिल की जान बनने तक की गजलों को जगजीत सिंह ने पेश किया.
2011 में दुनिया को कहा अलविदा
10 अक्टूबर 2011 को ब्रेन हैमरेज की वजह से जगजीत सिंह सभी की आंखों को नम कर इस दुनिया से चले गए. वैसे, इस दिन तो उन्होंने सिर्फ अपना शरीर छोड़ा, मर तो वह 1990 में ही गए. ये वो वक्त था जब जगजीत ने अपने जवान बेटे को खो दिया. ये बड़ा दर्द था कि गजल सम्राट पूरी तरह इससे टूट गए. इस दुख ने उन्हें झकझोर कर रख दिया था.
बड़े कलाकार बन चुके थे जगजीत सिंह
दरअसल, 90 के दशक तक जगजीत सिंह एक बड़े कलाकार बन चुके थे. उन्होंने पत्नी चित्रा के साथ मिलकर भी कई गानों को अपनी गुनगुनी आवाज से सजाया. जगजीत की आवाज का जादों अब विदेशों में भी छा चुका था. उनके हर कॉन्सर्ट को देखने के लिए भारी भीड़ जमा हो जाती थी. अक्सर वह इसी तरह के कार्यक्रम में व्यस्त रहते थे.
गजल के बोल बन गए हकीकत
एक बार कार्यक्रम के बाद पार्टी का आयोजन किया गया. इसी पार्टी में अंजू महेंद्रू ने जगजीत सिंह 'दर्द से मेरा दामन भर दे' गजल सुनाने फरमाइश की. हालांकि, उस समय उनका बिल्कुल मन नहीं था कुछ भी सुनाने का, लेकिन फरमाइश थी इसलिए वह चाहकर भी इनकार नहीं पाए. उन्होंने गजल गानी शुरू की. कहते हैं कि उन्होंने उस समय वह गजल गाते जा रहे थे और रोते जा रहे थे. कुछ मिनटों में ही कार्यक्रम खत्म हो गया. तभी कॉल आया कि जगजीत सिंह का इकलौता बेटा नहीं रहा.
कार एक्सीडेंट में हुई बेटे की मौत
एक कार एक्सीडेंट में जगजीत अपना लाडला बेटा खो चुके थे. कहा जाता है कि उस समय गजल सम्राट सभी से रो-रोकर बस यही कह रहे थे कि उस रात ऊपर वाले ने मेरी दुआ कुबूल कर ली. यहां वह उसी रात की बात दोहराते थे जब उन्होंने महफील में 'दर्द से मेरा दामन भर दे मौला' गजल सुनाई थी. इस हादसे के कुछ समय बाद ही जगजीत की जवान बेटी ने आत्महत्या कर ली, ये बेटी चित्रा की पहली शादी से थी.
दो जवान बच्चे खो दिए
दो जवान बच्चों की मौत चित्रा बर्दाश्त नहीं कर पाईं. सदमे की वजह से संगीत से उनका नाता बिल्कुल टूट गया. वह दोबारा फिर कभी नहीं गा पाईं. वहीं, जगजीत सिंह से भी फैसला कर लिया था कि वह दोबारा नहीं गाएंगे, लेकिन चाहने वालों के प्यार और उनकी मांग पर एक बार फिर जगजीत ने संगीत का रुख किया.
बेटे के लिए गाया गाना
कहते हैं कि 1998 में आई फिल्म 'दुश्मन' गाना 'चिट्ठी ना कोई संदेश' जगजीत सिंह ने बेटे को याद करते हुए ही गाया था. अब उनकी आवाज में प्यार और दुलार के साथ-साथ दर्द और आंसू की खनक भी सुनाई पड़ने लगी थी.