Rajasthan: जब Gehlot ने देखी थी Vasundhara के हाथ की लकीरें... क्या CM पद दिला पाएंगी हस्तरेखा?

 Rajasthan New CM: गहलोत ने अपने हाथों की ओर देखते हुए कहा कि मेरे हाथ की लकीरें लंबी हैं. गहलोत इससे यह बताना चाह रहे थे कि मेरी किस्मत में राजयोग लिखा है. इस पर वसुंधरा ने अपने हाथ देखते हुए कहा कि कम तो मेरे हाथों की रेखाएं भी नहीं, देख लीजिए. 

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Dec 8, 2023, 08:48 AM IST
  • विधानसभा में मिले थे गहलोत-वसुंधरा
  • दोनों के बीच हुई थी 16 मिनट बातचीत हुई
Rajasthan: जब Gehlot ने देखी थी Vasundhara के हाथ की लकीरें... क्या CM पद दिला पाएंगी हस्तरेखा?

नई दिल्ली: Rajasthan New CM: राजस्थान में भाजपा सीएम पद के लिए माथापच्ची कर रही है. किसी का दावा है कि पार्टी नए चेहरे पर दांव खेलेगी, तो किसी का कहना है कि पुराना चेहरा ही रिपीट होगा. इस दौरान सियासी हलकों में एक पुराना किस्सा याद किया जाने लगा है. इसी किस्से के आधार पर लोग पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सियासी भविष्य को लेकर अलग-अलग कयास लगा रहे हैं. 

क्या है रेखा बांचने का किस्सा
दरअसल, यह किस्सा बीते साल का है. 9 फरवरी, 2022 को बजट सत्र शुरू हुआ था. इस दौरान राज्यपाल के अभिभाषण के बाद सदन स्थगित हो गया. तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राज्यपाल को गाड़ी तक छोड़कर वापस सदन के भीतर आए. उन्होंने देखा कि पूर्व सीएम राजे सदन में ही बैठी हैं. इसके बाद वे राजे की ओर चले गए. गहलोत को वहां जाते देख कांग्रेस के कुछ अन्य विधायक भी वहां चले गए. बातों-बातों में वसुंधरा ने कहा कि आज तो आपने खूब मेज थपथपाई है, हाथ दर्द करने लगे होंगे. इस पर गहलोत ने अपने हाथों की ओर देखते हुए कहा कि मेरे हाथ की लकीरें लंबी हैं. गहलोत इससे यह बताना चाह रहे थे कि मेरी किस्मत में राजयोग लिखा है. इस पर वसुंधरा ने अपने हाथ देखते हुए कहा कि कम तो मेरे हाथों की रेखाएं भी नहीं, देख लीजिए. इस पर गहलोत ने मुस्कुराते हुए कहा, आपके हाथ की लकीरें भी उतनी ही लंबी हैं, जितनी मेरे हाथ की. इसके बाद पूरे सदन में ठहाका गूंज उठा. दोनों के बीच करीब 16 मिनट बातचीत हुई थी.

देवी-देवता रहते हैं मेहरबान
राजस्थान की राजनीति में यह माना जाता है कि मैडम पर देवी-देवता मेहरबान रहते हैं. यही कारण है कि वसुंधरा साधु-संतों का सम्मान करती हैं. भाजपा ने हवामहल सीट से बालमुकुंद आचार्य को प्रत्याशी बनाया था. वसुंधरा प्रचार करने गईं तो उन्होंने बालमुकुंद के पांव छुए. इसी तरह एक बार मंच पर बाबा बालकनाथ थे, तो वसुंधरा ने उनसे भी आशीर्वाद लिया. उनकी देव-दर्शन यात्राएं भी खूब चर्चा में रहती हैं. 

गहलोत-वसुंधरा की 'दोस्ती'
माना जाता है कि अशोक गहलोत और वसुंधरा में धुर विरोधी होने के बावजूद सहज रिश्ते हैं. गहलोत ने वसुंधरा का जयपुर स्थिति 13, सिविल लाइंस बंगला बचाने के लिए नियमों में ही बदलाव कर दिया था. वहीं, गहलोत सार्वजनिक मंचों से ये भी कह चुके हैं कि वसुंधरा मेरी सरकार गिराने के पक्ष में नहीं थीं.  

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