Ground Report: अपने गढ़ पूर्वांचल में योगी की असली परीक्षा, यहां जाति है बड़ा मुद्दा

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश में 3 मार्च को छठे चरण का चुनाव होना है. इस चरण में 10 जिलों की 57 सीटों पर चुनाव होगा. इस चरण में योगी सरकार की असली अग्नि परीक्षा होगी. इसी चरण में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर सीट से चुनावी मैदान में उतरे हैं.

Written by - Shivam Pratap | Last Updated : Mar 1, 2022, 09:44 PM IST
  • 2017 में बीजेपी ने किया था क्लीन स्वीप
  • बस्ती में बीजेपी ने जीती थीं सभी सीटें
Ground Report: अपने गढ़ पूर्वांचल में योगी की असली परीक्षा, यहां जाति है बड़ा मुद्दा

नई दिल्लीः UP Election 2022: उत्तर प्रदेश में 3 मार्च को छठे चरण का चुनाव होना है. इस चरण में 10 जिलों की 57 सीटों पर चुनाव होगा. इस चरण में योगी सरकार की असली अग्नि परीक्षा होगी. इसी चरण में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर सीट से चुनावी मैदान में उतरे हैं. इसके साथ ही एक दर्जन सीटों पर उनके करीबी चुनाव लड़े रहे हैं, जबकि 5 मंत्रियों की साख पर दांव लगा है. इस चरण में 676 उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर लगी है. 

इस चरण में बलिया, गोरखपुर, बलरामपुर, देवरिया, कुशीनगर, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर, महाराजगंज, बस्ती और अंबेडकरनगर जिले की सीटें हैं. इन जिलों में 57 विधानसभा सीटों में 11 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं.

2017 में बीजेपी ने हासिल की थी बड़ी जीत
छठे चरण में जिन 10 जिलों की सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, 2017 में अंबेडकरनगर छोड़कर बाकी जिलों में बीजेपी का पलड़ा भारी रहा था.  2017 में इन 57 सीटों में से BJP ने 46 सीटें जीती थीं जबकि सपा को 2, बसपा को 5 सीटें और कांग्रेस को 1 सीट मिली थी. वहीं, बीजेपी के सहयोगी अपना दल (एस) को 1 और सुभासपा को एक सीट मिली थी, जबकि एक सीट पर निर्दलीय ने जीत दर्ज की थी. 

इस बार पूर्वांचल में BJP की साख दांव पर लगी है, क्योंकि इस बार सुभासपा बीजेपी से नाता तोड़कर सपा के साथ हो गई है. हालांकि, बीजेपी को निषाद पार्टी का साथ मिला है. योगी आदित्यनाथ पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं.

बस्ती में बीजेपी ने जीती थीं सभी सीटें

बस्ती जिले की बात करें तो 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने यहां से सभी 5 सीटें जीती थीं. इनमें सबसे चर्चित हर्रैया, कप्तानगंज, रूधौली, बस्ती सदर, महादेवा विधानसभा शामिल हैं. बस्ती में मूलभूत मुद्दों के बजाय क्षेत्रवाद, जातिवाद के आधार पर चुनाव होते हैं. साल 2012 तक यहां कांग्रेस, सपा, बसपा का कब्जा रहा, लेकिन 2017 के चुनाव में सभी सीटों पर सारे समीकरण ध्वस्त कर भाजपा का कब्जा हो गया.

उद्योग के नाम पर बस्ती, मुण्डेरवा, बभनान, वाल्टरगंज, अठदमा में चीनी मिल चल रही थी. जबकि बस्ती और वाल्टरगंज चीनी मिल पूरी तरह बंद हो गई थी, किसानों के लंबे संघर्ष और योगी आदित्यनाथ ने वादे के मुताबिक वर्षों से बंद पड़ी चीनी मिल को फिर से शुरू कराया. 

हरैया में बीजेपी और बसपा के बीच है टक्कर
इस जिले की सबसे चर्चित हरैया विधानसभा सीट ब्राह्मण बाहुल्य है. यहां शुरुआत से 2012 तक कांग्रेस, सपा, बसपा के प्रत्याशी जीत हासिल करते रहे, लेकिन वर्ष 2017 में पहली बार यहां भाजपा प्रत्याशी ने जीत हासिल की. सबसे अधिक ब्राह्मण और उसके बाद दलित मतदाता आते हैं. क्षत्रिय मतदाताओं की संख्या भी इस सीट पर अच्छी तादाद में है. यहां से बसपा प्रत्याशी पूर्व कैबिनेट मंत्री और राजपूत चेहरे राजकिशोर सिंह को हराकर BJP के अजय सिंह ने जीत हासिल की थी. इस बार भी इस सीट पर इन्हीं दोनों की टक्कर बताई जा रही है, लेकिन सपा के प्रत्याशी भी इस आपसी लड़ाई का मजा लेते हुए अपनी जीत का दावा कर रहे हैं.

बीजेपी ने जीती थी कप्तानगंज सीट
दूसरी सीट कप्तानगंज में दलित और कुर्मी मतदाता निर्णायक हैं. 2017 से पहले तक यहां कांग्रेस और बसपा का कब्जा रहा, लेकिन 2017 में भाजपा के चंद्र प्रकाश शुक्ला ने यहां से लगातार पांच बार से विधायक रहे पूर्व कैबिनेट मंत्री राम प्रसाद चौधरी को हराया था. जिले की तीसरी सीट रूधौली में दलित, ब्राह्मण, कुर्मी, मुस्लिम मतदाता निर्णायक माने जाते हैं. 2012 में कांग्रेस प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी, वर्ष 2017 में पाला बदलकर कांग्रेस विधायक ने भाजपा का दामन थाम लिया और जीत हासिल की. 

महादेवा जीतने वाले दल की सूबे में बनती है सरकार
सदर सीट यानी बस्ती विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक 55973 दलित मतदाता है. इसके बाद 44537 ब्राह्मण, मुस्लिम 43564, कुर्मी 42985 मतदाता आते हैं. यहां 2017 में पहली बार भाजपा का खाता खुला. सपा का भी खाता नहीं खुल पाया. पांचवीं सीट यानी महादेवा विधानसभा सीट आरक्षित है. यहां कुल मतदाताओं की संख्या 342918 है. यहां कांग्रेस, भाजपा, सपा, बसपा को नेतृत्व करने का मौका मिला, इस सीट को लेकर यह कहा जाता है कि जिस दल का यहां से विधायक बना उसी दल की प्रदेश में सरकार बनी.

योगी के नाम पर पड़ रहा वोट
अयोध्या से निकलकर गोंडा होते हुए जैसे ही बस्ती जिले में एंट्री होती है सबसे पहले पड़ती है हरैय्या सीट, यहां माहौल पूरी तरह द्विपक्षीय है. यहां तहसील गेट के सामने चाय की दुकान पर बैठे ब्रजमोहन पाठक कहते हैं कि योगी ने खूब विकास किया है और मंदिर भी बनाया है, इसलिए वोट उन्हीं को जाएगा, लेकिन पास में बैठे मलखान सिंह कहते हैं कि विकास तो क्या ही किया है लेकिन विकल्प की कमी है इसलिए जो विकल्प हैं उनमें योगी ही अच्छा है. 

महंगाई-बेरोजगारी भी है मुद्दा
चाय के ठेले पर चुपचाप बैठे मोहम्मद फारूख दावा करते हैं कि यहां से पूर्व काबीना मंत्री राजकिशोर सिंह की जीत होगी. दिल्ली से नौकरी करके वोट डालने बस्ती आए आकाश यादव कहते हैं कि वे बाइक की सर्विस कराने आए हैं और पेट्रोल की महंगाई की वजह से उन्होंने बाइक सर्विस पर देने से पहले उसमें सिर्फ आधा लीटर पेट्रोल छोड़ा है, बाकी पूरा निकाल लिया ताकि सर्विस में पेट्रोल की बरबादी ना हो, इस बार बेरोजगारी और महंगाई बड़ा मुद्दा है इसलिए पूर्वांचल में योगी को करारी हार मिलेगी. 

योगी को अपना पड़ोसी मानते हैं हरैया वाले
सीधे तौर पर बात करें तो यहां लोगों में उद्योग-धंधे ना होने को लेकर नाराजगी है और विकास की आस भी लोग सरकारों से लगाए बैठे हैं, लेकिन कोई सरकार उनके इरादों पर खरी नहीं उतरी है. हालांकि, राम मंदिर और कानून व्यवस्था में सुधार यहां के भाजपा विधायक के लिए वोट बटोर रहा है. हरैया के लोग CM योगी को अपना पड़ोसी मानते हैं. यही वजह है कि उनका झुकाव प्रत्याशी से ज्यादा CM की तरफ है. 

'बसपा नहीं है लड़ाई में' 
हरैया से आगे बढ़ें तो बस्ती सदर में घुसते ही बाएं तरफ कई दुकानें हैं. वहां सपा के नेता प्रचार कर रहे थे, उनके जाने के बाद जब समोसे खा रहे अनूप से पूछा कि क्या भाई क्या हाल हैं चुनाव के तो अनूप ने साफ तौर पर कहा कि इस सीट पर तो लड़ाई ही नहीं है, यहां से भाजपा जीत रही है, जबकि राधेलाल जाटव कहते हैं कि बसपा फाइट में नहीं है इसलिए योगी को वोट देंगे, जबकि अपनी साइकल सही कराने आए कृष्ण प्रताप यादव कहते हैं कि यहां से सपा कभी नहीं जीती, लेकिन इस बार सपा का खाता खुलेगा. मिठाई खरीदने आई रोशनी राज कहती हैं कि यहां से जो जीतेगा उसी पार्टी का मुख्यमंत्री बनेगा इसलिए हमें लड़कियों की सुरक्षा वाला CM चाहिए. 

कप्तानगंज में है कड़ी टक्कर
बस्ती की एक और सीट कप्तानगंज की बात करें तो यहां कड़ी टक्कर है. यहां मुद्दे सामान्य बनाम पिछड़ा में बदल गए हैं. यहां विधायक से भी कुछ मुद्दों पर लोगों को नाराजगी है. राहुल मिश्र कहते हैं कि भाजपा सरकार में किसान सम्मान निधि से बड़ा फायदा मिला, जिससे साल भर में छह हजार रुपये मिलने से तमाम लोगों के काम हो रहे हैं, वहीं पास में खड़े होकर खरीदारी कर रहे घनश्याम कहते हैं कि गन्ना का रेट ज्यादा नहीं बढ़ा, लेकिन भुगतान में कोई दिक्कत नहीं है, एक जमाना था जब पता ही नहीं होता था कि आखिर कब भुगतान होगा. 

कप्तानगंज के लोग रोजगार को लेकर बहुत गंभीर हैं, राहुल सिंह कहते हैं कि विकास कार्यों से ज्यादा रोजगार की आवश्यकता है रोजगार की, जो था वह भी कोरोना काल में बद से बदतर स्थिति में पहुंच गया है, इसलिए अब बदलाव की जरूरत है. हालांकि कई लोगों का मानना है कि सालों बाद यहां के विधायक जनता के बीच नजर आए नहीं तो यहां के विधायकों से मिलना असंभव सा कार्य होता था. 

फ्री बिजली है बड़ा मुद्दा
रूधौली और महादेवा सीट पर फ्री बिजली बड़ा मुद्दा है, यहां लोग अखिलेश यादव के फ्री बिजली, रोजगार और महंगाई पर कंट्रोल को लेकर किए गए वादे से प्रभावित हैं, लेकिन कानून व्यवस्था और गुंडागर्दी से डरते हैं. महादेवा के मार्केट में चौराहे पर बैठे आदित्य शुक्ला कहते हैं कि योगी सरकार पंडित विरोधी हैं और इस बार चुन चुनकर ब्राह्मण लोगों को टारगेट किया गया है. हालांकि वो ये भी कहते हैं कि इसके बावजूद ब्राह्मण हिंदुत्व के लिए भाजपा को वोट दे रहा है. यहीं मौजूद अमरपाल मौर्य कहते हैं कि पूर्वांचल में भाजपा विधायकों से लोगों में जबरदस्त नाराजगी है उसके बावजूद टूट के डर से भाजपा ने विधायकों के टिकट नहीं काटे, इसलिए लोगों में प्रत्याशियों के विरुद्ध भारी नाराजगी है जिसका खामियाजा भाजपा को उठाना पड़ेगा.

कोरोना काल में सरकार के काम की तारीफ
चलते चलते बस्ती रेलवे स्टेशन के सामने चाय नास्ते को एक दुकान पर बैठे तो वहां पहले से यूक्रेन को लेकर चर्चा चल रही थी. लोगों से जब चुनाव की चर्चा की तो बैंक में कार्यरत रागिनी शुक्ला कहती हैं कि जब सारे देश यूक्रेन से अपने लोगों को लाने में असमर्थ हैं, ऐसे में हमारे देश के PM ने डंके की चोट पर सभी छात्रों को वापस लाने की बात कही है. रागिनी शुक्ला कोरोना काल में सरकार के कामकाज की जमकर तारीफ कर रही थीं. रागिनी शुक्ला वैक्सीनेशन और राशन को लेकर CM योगी के समर्थन में मुखरता से बोलती रहीं.

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