जेल में बंद नेता को एक तस्वीर ने जितवा दिया चुनाव, जॉर्ज फर्नांडिस ने कैसे किया ये कमाल?

George Fernandes:समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडिस ने 1977 का लोकसभा चुनाव जेल में रहते हुए जीता था. उनके पूरे प्रचार-प्रसार को सुषमा स्वराज ने मैनेज किया था. जॉर्ज 3 लाख वोटों से मुजफ्फरपुर से चुनाव जीते थे.

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Mar 29, 2024, 04:43 PM IST
  • 3.34 लाख वोटों से जीते थे जॉर्ज
  • सुषमा स्वराज ने संभाली थी कमान
जेल में बंद नेता को एक तस्वीर ने जितवा दिया चुनाव, जॉर्ज फर्नांडिस ने कैसे किया ये कमाल?

नई दिल्ली: George Fernandes: साल 1977, इमरजेंसी हट चुकी थी. कई दल जनता पार्टी केबैंर तले आ चुके थे. देश में लोकसभा चुनाव का ऐलान हो चुका था. मजदूरों के नेता जॉर्ज फर्नांडिस जेल में थे. इंदिरा गांधी के खिलाफ मजबूती से लड़े जॉर्ज को जनता पार्टी ने बिहार की मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतार दिया. पार्टी के कार्यकर्ता असमंजस में थे, जो नेता जेल में ही उसका प्रचार कैसे हो? आइए, जानते हैं कि जाइंट किलर के नाम से मशहूर जॉर्ज फर्नांडिस ने 1977 का लोकसभा चुनाव कैसे लड़ा?

जेल में क्यों बंद थे जॉर्ज फर्नांडिस?
दरअसल, जॉर्ज फर्नांडिस उन चुनिंदा नेताओं में से एक थे, जो इंदिरा गांधी का मुखरता से विरोध करते थे. इमरजेंसी के दौरान जब सारे नेता जेल में थे, तब जॉर्ज अंडरग्राउंड थे. वे इंदिरा सरकार की चूलें हिलाने के प्रयास में लगे हुए थे. जॉर्ज ने अपनी दाढ़ी बढ़ा ली थी, उन्होंने एक सरदार का भेष धारण कर लिया था. वे कभी तमिलनाडु जाते तो कभी गुजरात. इसी दौरान गुजरात के बड़ौदा में इंदिरा की एक सभा होनी थी. जॉर्ज ने योजना बनाई कि सभा के करीब के सार्वजनिक शौचालय में डायनामाइट से धमाका किया जाए. वे ऐसा कुछ करते, इससे पहले ही उनके साथी पकड़े गए. 1976 जॉर्ज की भी गिरफ्तारी हो गई. जॉर्ज सहित 24 नेताओं पर आरोप लगा कि उन्‍होंने सरकारी संस्‍थानों और रेल ट्रैक को उड़ाने के लिए डायनामाइट की तस्‍करी की. जॉर्ज बड़ौदा डायनामाइट केस में मुख्य आरोपी बन गए. इसी कारण इमरजेंसी खत्म होने के बाद भी वे जेल में थे. 

सुषमा स्वराज ने किय प्रचार
जॉर्ज बॉम्बे की राजनीति में सक्रिय थे. लेकिन इमरजेंसी हटने के बाद जेपी नारायण ने उन्हें मुजफ्फरपुर से चुनाव लड़ने के लिए कहा. जॉर्ज जेल में थे, तो चुनाव प्रचार का जिम्मा उनकी वकील सुषमा स्वराज ने उठाया. सुषमा एक प्रभावशाली वक्ता थीं. उन्होंने जॉर्ज की पत्नी के साथ मिलकर प्रचार-प्रसार करना शुरू कर दिया. जब बात जॉर्ज के पोस्टर चस्पा करने की आई तो उनकी एक बहुचर्चित तस्वीर को सड़कों पर लगवा दिया गया. इसमें जॉर्ज हथकड़ी और जंजीर पहने हुंकार भरते दिखाई दे रहे हैं. यह तस्वीर दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट के बाहर खिंची गई थी. यह तस्वीर इमरजेंसी के विरुद्ध एक प्रतीक बन गई. इसी दौरान एक नारा दिया गया 'जेल का फाटक टूटेगा, जॉर्ज हमारा छूटेगा'

क्या नतीजे रहे?
सुषमा के चुनावी मैनेजमेंट और जॉर्ज की एक तस्वीर ने कमाल कर दिया. मुजफ्फरपुर की जिस जनता ने कभी जॉर्ज को देखा तक नहीं था, उन्होंने महज एक तस्वीर को देखकर उन्हें चुनाव जीतवा दिया. जॉर्ज को 3.96 लाख वोट मिले. उनके प्रतिद्वंदी कांग्रेसी उम्मीदवार को 62 हजार वोट ही मिले. जॉर्ज 3.34 लाख बंपर मार्जिन से चुनाव जीत गए. 

मुजफ्फरपुर बना जॉर्ज का गढ़
इसके बाद जॉर्ज फर्नांडिस ने मुजफ्फरपुर सीट को अपने गढ़ के तौर पर विकसित कर लिया था. जॉर्ज इस सीट से 1977, 1980, 1989, 1991 और 2004 में लोकसभा के लिए चुन कर गए. 

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