UP में नए दलित नेता का उदय... BSP के लिए कैसे चुनौती बन सकते हैं चंद्रशेखर?

Chandrashekhar won Nagina Lok Sabha Chunav 2024: यूपी की दलित सियासत करवट ले सकती है. नगीना सीट से चंद्रशेखर के विजयी होने के बाद बसपा का कोर वोट बैंक खिसकने का खतरा है. उत्तर प्रदेश में करीब 29 सीटें ऐसी हैं जहां 22 से 40 फीसदी दलित वोटर हैं.

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Jun 5, 2024, 11:33 AM IST
  • नगीना सीट से जीते चंद्रशेखर
  • BSP नहीं जीत पाई एक भी सीट
UP में नए दलित नेता का उदय... BSP के लिए कैसे चुनौती बन सकते हैं चंद्रशेखर?

नई दिल्ली: Chandrashekhar won Nagina Lok Sabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे आ चुके हैं. यूपी में NDA के 'मिशन 80' को बड़ा झटका लगा है. भाजपा के अलावा सबसे ज्यादा नुकसान यूपी में बहुजन समाज पार्टी को हुआ है. बसपा ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में यूपी में 10 सीटों पर कब्जा किया था. लेकिन इस बार पार्टी एक सीट भी नहीं जीत पाई. इसके इतर, मायावती की सियासत के लिए खतरा माने जाने वाले आजाद समाज पार्टी (कांशी राम) के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने भी चुनाव में जीत दर्ज की है. वे नगीना लोकसभा सीट से चुनाव जीते हैं.

15 साल में मायावती का वोट बैंक खिसका
बीते 15 साल में बसपा का वोट बैंक लगातार खिसकता हुआ दिख रहा है. 2009 के लोकसभा चुनाव में BSP ने यूपी में 27.42% वोट शेयर के साथ 20 सीटें जीती. फिर 2014 में 19.77% वोट शेयर के साथ बसपा एक भी सीट नहीं जीत पाई. 2019 में सपा-बसपा का गठबंधन था, तब मायावती की पार्टी को 19.43% वोट मिले और बसपा 10 सीटें जीती. 2024 में बसपा अकेले लड़ी, 9.39% वोट मिले, और शून्य सीट मिली. 

चंद्रशेखर और आकाश आनंद में टक्कर संभव
आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के प्रमुख चंद्रशेखर अब BSP के वोटर्स के लिए एक विकल्प के तौर पर उभर सकते हैं. मायावती के कमजोर होने से दलितों को एक नए नेता की तलाश है. ऐसी संभावना है कि भविष्य में बसपा सुप्रीमो मायावती के भतीजे आकाश आनंद और चंद्रशेखर के बीच मुकाबला देखा जा सकता है. चुनाव से पहले आकाश ने चंद्रशेखर को 'छुटभैया' नेता कहा था. आकाश ने कहा था, 'जो एक पार्षद का चुनाव नहीं जीत सकते, अपनी जमानत नहीं बचा सकते, उनकी तुलना एक राष्ट्रीय दल से कैसे हो सकती है.' 

बसपा के सामने बड़ी चुनौती
यूपी में इस बार दलित वोट बैंक मायावती को छोड़कर सपा-कांग्रेस गठबंधन के साथ गया है. ऐसे में एक नए दलित नेता के उदय के साथ ये वोट बैंक इधर आ सकता है. करीब 29 सीटें ऐसी हैं जिन पर दलित वोट बैंक 22 से लेकर 40% के बीच है, फिर भी बसपा एक सीट जीतने में भी कामयाब नहीं हो पाई. चंद्रशेखर की जीत के बाद बसपा के सामने अपने बचे हुए वोट बैंक और जा चुके वोट बैंक को बचाने की चुनौती होगी. 

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