मुलायम के लाल का कमाल... अखिलेश ने कैसे भेदा BJP का किला, 5 पॉइंट्स में समझें

Akhilesh Yadav Strategy in UP: सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की रणनीति के कारण भाजपा का रथ यूपी में 33 सीटों पर ही रुक गया. NDA ने यूपी में 'मिशन 80' का नारा दिया था. लेकिन न तो NDA अपना टारगेट पूरा कर पाया और न ही भाजपा.

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Jun 5, 2024, 09:53 AM IST
  • अखिलेश ने उठाए युवाओं के मुद्दे
  • PDA का ​फॉर्मूला काम आया
मुलायम के लाल का कमाल... अखिलेश ने कैसे भेदा BJP का किला, 5 पॉइंट्स में समझें

नई दिल्ली: Akhilesh Yadav Strategy in UP: लोकसभा चुनाव के नतीजों में भाजापा को सबसे बड़ा झटका उत्तर प्रदेश में लगा है. यहां पर NDA ने 80 में से 80 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था. लेकिन गठबंधन आधे से भी कम सीटों पर सिमट गया. भाजपा को केवल 33 सीटें ही आईं. दूसरी ओर, अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने 37 सीटों पर जीत हासिल की है. ये नतीजे एग्जिट पोल और बड़े-बड़े पॉलिटिकल पंडितों की भविष्यवाणी से उलट साबित हुए. 

कैसे लिखी जीत की इबारत?
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा यूपी में मिलकर चुनाव लड़ा. लेकिन सपा को इसका कुछ खास फायदा नहीं हुआ. तब अखिलेश की पार्टी महज 5 सीटों पर ही विजयी हुई थी. इस बार यूपी में राम मंदिर जैसा मुद्दा होने के बाद भी सपा सबसे बड़ा दल बनके कैसे उभरी? यही सवाल सबकी जुबान पर है. आइए, पॉइंट्स में जानते हैं इसका जवाब...

1. एकजुट परिवार: इस बार मुलायम परिवार ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा. 2019 के चुनाव में अखिलेश के चचा शिवपाल ने अलग दल बनाया और उससे चुनाव लड़ा. लेकिन इस बार चाचा-भतीजा एकसाथ रहे. पूरे परिवार ने लोकसभा चुनाव में सपा का प्रचार किया. यादव समाज का वोट नहीं बंटा.

2. PDA फॉर्मूला: सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने PDA के फॉर्मूले पर काम किया. उन्होंने पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक का फॉर्मूला तैयार कर प्रत्याशी उतारे. सपा ने 17 दलित, 29 OBC और 4 मुस्लिमों के अलावा बाकी सीटों पर स्वर्ण उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा. सबको साधने का ये दांव सही बैठा और अखिलेश यादव चुनाव के मैन ऑफ दी मैच बन गए.

3. दलितों पर फोकस: अखिलेश यादव ने भाजपा पर आरक्षण खत्म करने की दिशा में बढ़ने का आरोप लगाया. ये मुद्दा ग्रामीण इलाकों तक भी पहुंचा. यहां पर दलित बसपा के कर वोटर हैं. लेकिन इस बार बसपा फाइट में नजर नहीं आई तो उन्होंने सपा-कांग्रेस के गठबंधन को वोट किया. 

4. युवाओं के मुद्दे उठाए: अखिलेश यादव ने जातिवार लोगों के साधने के बाद युवा वर्ग को भी अपनी तरफ किया. इसके लिए उन्होंने अग्निवीर और पेपर लीक जैसे मुद्दे उठाए, जिन पर पहले से कुछ इलाकों के नौजवान भाजपा से नाराज चल रहे थे. दूसरी ओर, राहुल गांधी ने भी अग्निवीर को खत्म करने का वादा किया. इसलिए यूथ भी अखिलेश के सपोर्ट में उतर आया था. 

5. सॉफ्ट हिंदुत्व की रणनीति: अखिलेश यादव जानते थे कि भाजपा हिंदू को टारगेट करेगी, लेकिन उनका फोकस हिंदुओं की जातियों पर था. लिहाजा वे नहीं चाहते थे कि किसी भी हिंदू को नाराज किया जाए. अखिलेश ने राम मंदिर मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया नहीं दी. सपा के गढ़ इटावा में शिव मंदिर बनवाया. 

ये भी पढ़ें- Election Results 2024: 1.5 लाख वोट Vs 3.6 लाख वोट, मोदी और राहुल की जीत के अंतर में क्या बड़ी बात है? जानें

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.

ट्रेंडिंग न्यूज़