हिमाचल प्रदेशः विक्रमादित्य ने वापस लिया इस्तीफा, कहा- कांग्रेस सरकार पर संकट नहीं

इसी बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बुधवार को दावा किया कि वे पूरे पांच साल तक सरकार चलाएंगे.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 28, 2024, 09:02 PM IST
  • जानिए क्या है पूरा मामला
  • राज्यसभा चुनाव के बाद हुआ था विवाद
हिमाचल प्रदेशः विक्रमादित्य ने वापस लिया इस्तीफा, कहा- कांग्रेस सरकार पर संकट नहीं

नई दिल्लीः हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव के मतदान के बाद से जारी सियासी संकट के बीच राहत भरी खबर सामने आई है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है. हिमाचल के प्रभारी बनाए गए राजीव शुक्ला ने कहा कि विक्रमादित्य सिंह ने इस्तीफा वापस ले लिया है और कहा है कि आदमी बड़ा नहीं होता, संगठन बड़ा होता है. सरकार पर कोई संकट नहीं है. दरअसल, विक्रमादित्य सिंह ने बुधवार सुबह मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद सुक्खू सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे थे. उन्होंने बिना नाम लिए सीएम पर अपमानित करने का आरोप लगाया था.

सीएम ने कहा 5 साल चलेगी सरकार
इसी बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बुधवार को दावा किया कि वे पूरे पांच साल तक सरकार चलाएंगे. सुक्खू ने ‘पीटीआई वीडियो’ के सवाल पर कहा, ‘‘न तो केंद्रीय नेतृत्व ने और न ही किसी और ने मुझे इस्तीफा देने को कहा है और ऐसी कोई बात नहीं हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘जिस तरह का काम राज्य के भाजपा नेताओं द्वार किया गया है.... वे अपने ही लोगों पर भरोसा नहीं करते. 

ऐसे शुरू हुआ था विवाद
दरअसल, हिमाचल प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस को झटका देते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मंगलवार को राज्य की एकमात्र राज्यसभा सीट जीत ली. भाजपा उम्मीदवार हर्ष महाजन ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी को हराया और इसी के तहत विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव का मंच तैयार हो गया. सुक्खू ने कहा, ‘‘लेकिन मैं एक बात कहना चाहता हूं कि हिमाचल की जनता हमारे साथ है, विधायक हमारे साथ हैं और मैं इतना जरूर कह सकता हूं कि हम पांच साल तक हिमाचल की सरकार चलाएंगे.

राज्य विधानसभा की 68 सीटों में से कांग्रेस के पास 40 और भाजपा के पास 25 सीटें हैं. प्रदेश में तीन निर्दलीय विधायक हैं. अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार को राज्यसभा सीट के लिए मतदान बराबरी पर रहा. कांग्रेस और भाजपा दोनों उम्मीदवारों को 34 वोट मिले, जो दर्शाता है कि कम से कम छह कांग्रेस विधायकों ने पार्टी के खिलाफ मतदान किया. उन्होंने बताया कि विजेता का फैसला लाटरी व्यवस्था से हुआ. 

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