नई दिल्लीः Uttarakhand Election: उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा जताई है. उन्होंने अपनी इच्छा को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के सामने पत्र के माध्यम से रख दिया है. उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में डोईवाला सीट से विधायक त्रिवेंद्र सिंह रावत 2017 में सूबे के मुख्यमंत्री बने थे. लेकिन, उनकी सरकार के चार साल पूरे होने से ठीक पहले पार्टी आलाकमान ने उन्हें सीएम की कुर्सी से हटा दिया था.
जेपी नड्डा को लिखा पत्र
त्रिवेंद्र सिंह रावत तीन बार डोईवाला सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. लेकिन, अब उन्होंने जेपी नड्डा को पत्र में लिखा, मुझे देवभूमि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में सेवा करने का अवसर मिला. यह मेरा परम सौभाग्य था. मैंने भी कोशिश की कि पवित्रता के साथ राज्यवासियों की समभाव सेवा करूं. पत्र में आगे उन्होंने पीएम मोदी, उत्तराखंड के लोगों और डोईवाला के लोगों का धन्यवाद किया.
Please accept my request to not contest in Uttarakhand polls so that I focus on supporting the party (in upcoming polls): BJP leader and former Uttarakhand CM Trivendra Singh Rawat writes to BJP national chief JP Nadda pic.twitter.com/qeqenrgGBk
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 19, 2022
'बदली परिस्थितियों में नहीं लड़ना चाहिए चुनाव'
उन्होंने जेपी नड्डा को आगे लिखा, मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन हुआ है और युवा नेतृत्व पुष्कर सिंह धामी के रूप में मिला है. बदली राजनीतिक परिस्थितियों में मुझे विधानसभा चुनाव 2022 नहीं लड़ना चाहिए. मैं अपनी भावनाओं से पूर्व में ही अवगत करा चुका हूं.
डोईवाला से प्रत्याशी कौन?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बुधवार को कार्यकर्ताओं के बीच भी कहा कि इस बार उन्हें चुनाव लड़ाना है. पार्टी उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दे रही है. वहीं, त्रिवेंद्र सिंह रावत के डोईवाला से चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा जाहिर करने के बाद यह दिलचस्प है कि बीजेपी इस सीट से किसे बतौर प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारती है.
क्या टिकट पर था संकट?
बता दें कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत तीन बार डोईवाला सीट से विधानसभा चुनाव जीते. भले ही त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा जताई हो, लेकिन उत्तराखंड की राजनीति के जानकार बताते हैं कि उनके टिकट पर संकट मंडरा रहा था.
सियासी जानकार यह भी कह रहे हैं कि त्रिवेंद्र सिंह रावत ने डोईवाला में प्रचार में पूरी ताकत झोंकी थी, लेकिन उनका टिकट पक्का नहीं था. अब हाईकमान ने खुद उनसे चुनाव नहीं लड़ने के लिए पत्र लिखवाया है.
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