UP Nikay Chunav: यूपी निकाय चुनाव पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, जानिए कहां फंस गया पेच

आरोप लगाया गया कि शीर्ष अदालत के स्पष्ट दिशानिर्देशों के बावजूद राज्य सरकार ने बिना तिहरा परीक्षण (ट्रिपल टेस्ट) के पांच दिसंबर, 2022 को ड्राफ्ट नोटिफिकेशन (मसौदा अधिसूचना) जारी किया जिसमें ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को भी शामिल किया गया.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 12, 2022, 10:44 PM IST
  • मंगलवार तक अंतिम अधिसूचना जारी करने पर रोक
  • राज्य सरकार ने किया याचिका का विरोध
UP Nikay Chunav: यूपी निकाय चुनाव पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, जानिए कहां फंस गया पेच

लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने सोमवार को राज्य निर्वाचन आयोग (SEC) को प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव कराने की अधिसूचना जारी करने पर मंगलवार तक अंतरिम रोक लगा दी. 

मंगलवार तक अंतिम अधिसूचना जारी करने पर रोक

पीठ ने राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिया है कि वह पांच दिसंबर की अधिसूचना द्वारा जारी मसौदा आदेश के आधार पर मंगलवार तक अंतिम अधिसूचना जारी न करे. पीठ मंगलवार को भी इस मामले में सुनवाई जारी रखेगी. यह आदेश न्यायमूर्ति डी. के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की पीठ ने वैभव पांडेय सहित अन्य याचीगण की ओर से अलग-अलग दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पारित किया. 

याचिकाकर्ताओं ने पांच दिसंबर, 2022 की अधिसूचना को चुनौती दी है, जिसमें राज्य ने सोमवार शाम तक आरक्षण तय करने पर आपत्ति मांगी थी. याचीगण ने नगर निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण लागू करने में प्रक्रिया का पालन नहीं करने का आरोप राज्य सरकार पर लगाया है. याचीगणों की ओर से कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय ने इसी साल सुरेश महाजन के मामले में दिये गये निर्णय में स्पष्ट तौर पर आदेश दिया था कि स्थानीय निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण जारी करने से पहले तिहरा परीक्षण किया जाएगा और यदि तिहरा परीक्षण की औपचारिकता नहीं की जा सकती है तो अनुसूचित जाति (एससी) व अनुसूचित जनजाति (एसटी) सीटों के अलावा बाकी सभी सीटों को सामान्य सीट घोषित करते हुए, चुनाव कराए जाएंगे. 

राज्य सरकार ने किया याचिका का विरोध

आरोप लगाया गया कि शीर्ष अदालत के स्पष्ट दिशानिर्देशों के बावजूद राज्य सरकार ने बिना तिहरा परीक्षण (ट्रिपल टेस्ट) के पांच दिसंबर, 2022 को ड्राफ्ट नोटिफिकेशन (मसौदा अधिसूचना) जारी किया जिसमें ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को भी शामिल किया गया. याचिका का राज्य सरकार की ओर से विरोध करते हुए कहा गया कि इससे चुनाव कराने में देरी होगी. यह भी दलील दी गई कि पांच दिसंबर की अधिसूचना का एक मसौदा अधिसूचना है, याची या जो भी व्यक्ति इससे असंतुष्ट हैं, वे आपत्तियां दाखिल कर सकते हैं. 

अदालत राज्य सरकार की इस दलील से संतुष्ट नहीं हुई और चुनावी अधिसूचना के साथ-साथ पांच दिसंबर, 2022 के उक्त मसौदा अधिसूचना (ड्राफ्ट नोटिफिकेशन) पर भी अंतरिम रोक लगा दी. पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया हमें लगता है कि यदि राज्य सरकार उच्चतम न्यायालय द्वारा तय की गई प्रक्रिया को अपनाने की मंशा रखती तो पांच दिसंबर को जारी मसौदा अधिसूचन, में ओबीसी सीटों को शामिल नहीं किया जाता, क्योंकि ओबीसी सीटों को तभी अधिसूचित किया जा सकता है जबकि तिहरा परीक्षण औपचारिकता को पूरा न कर लिया जाए. 

आदेश पारित करते हुए खंडपीठ ने कहा, "हमारे लिए यह पता लगाना अनिवार्य हो जाता है कि क्या उत्तर प्रदेश के शहरी स्थानीय निकायों के चुनावों के उद्देश्य से सीटों को आरक्षित करने की प्रक्रिया में, राज्य सरकार सुरेश महाजन मामले के आदेश का पालन कर रही है या नहीं, इसलिए हम इस याचिका पर विचार करते हैं और राज्य के अधिवक्ता को मंगलवार तक पूरा निर्देश लेने का निर्देश देते हैं." पीठ ने पांच दिसंबर की अधिसूचना के अनुपालन में आपत्तियां दाखिल करने की समय सीमा भी सोमवार दोपहर 12 बजे तक बढ़ा दी है. 

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