नई दिल्ली: पालघर हत्याकांड पर संतों की कब सुनेगी सरकार? ये सवाल बीते 13 दिनों से लगातार पूछा जा रहा है. संत समाज लगातार अपने लिए न्याय मांग रहा है. साथ ही एक और सवाल है क्या मिशनरी और नक्सलियों को बचाने की है साजिश? क्योंकि पालघर में साधुओं की हत्या के मामले में संत समाज यहीं आरोप लगा रहा है.
साधुओं की सरेआम हत्या पर इंसाफ कब?
साधुओं की सरेआम हत्या हर किसी को याद है, कैसे तालिबानी भीड़ ने निर्दोष साधुओं को मार डाला और कैसे पुलिस केवल मूकदर्शक बनी रही. लेकिन ज़ी मीडिया लगातार इस खबर से जुड़े एक-एक अपडेट को प्रमुखता से आपतक पहुंचाया है.
हत्या में मिशनरी और नक्सलियों के गठजोड़
इस मामले में अखिल भारतीय संत समाज ने संतों की हत्या में मिशनरी और नक्सलियों के गठजोड़ का आरोप लगाया है. संत समाज के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद ने पीटर डेमिलो पर संतों की हत्या के दोषियों को बचाने का आरोप लगाया है. बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी ट्वीट कर पीटर डेमिलो पर संतों के हत्यारों को बचाने का आरोप लगाया है.
इससे पहले रविवार को संत समाज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को चिट्ठी लिखकर पालघर मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी. चिट्ठी में नक्सलियों और मिशनरी के संबंधों की बात लिखी गई है. संत समाज ने कहा था कि उसे महाराष्ट्र सरकार की जांच पर भरोसा नहीं है.
विश्व हिंदू परिषद मौन रखकर जताएगी विरोध
पुलिस को करीब 300 से ज्यादा आरोपियों की तलाश और ड्रोन की मदद से जंगल में छिपे आरोपियों की तलाशी की जा रही है. CID लगातार CCTV और चश्मदीदों की मदद से जांच में जुटी है. वहीं राष्ट्रीय मानवाधिकार महाराष्ट्र पुलिस को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है जबकि आज यानी मंगलवार को विश्व हिंदू परिषद मौन रखकर विरोध जताएगी.
सबसे बड़ा सवाल है कि इस घटना के 13 दिन हो चुके हैं संत समाज दुखी हैं. आखिर गुनहगारों को कब सजा मिलेगी. पालघर मामले में ZEE मीडिया की पड़ताल में कुछ बातें सामने आई हैं. पालघर में संतों की हत्या की बड़ी साजिश रची गई थी और मॉब लिचिंग को संतों की हत्या का हथियार बनाया गया था. संतों की हत्या से पहले भारी भीड़ जुटाई गई थी और लगातार हत्या के असली गुनहगारों को बचाने की साजिश की जा रही है.
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पालघर मिशनरी और नक्सलियों का गढ़ बन गया है और यहां पर बड़े पैमाने पर धर्मांतरण गैंग काम कर रहा है. पुलिस ने संतों को बचाने की ईमानदार कोशिश नहीं की और अफ़वाह के नाम पर सच छिपाने की कोशिश हो रही है. लेकिन हर सच्चाई एक न एक दिन सामने आ ही जाएगी.
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