नई दिल्ली: तबलीगी जमात के मरकज के मामले में चल रही पुलिस जांच को लेकर एक्सक्लूसिव खबर हमारे पास आई है. दिल्ली पुलिस ये पता लगाने में जुटी है कि मार्च के महीने में निजामुद्दीन मरकज़ के आसपास कितने लोगों के मोबाइल फोन एक्टिव थे और अब उन लोगों की लोकेशन अब कहां है.
मोबाइल डेटा मैपिंग से होगी जमातियों की पहचान
डाटा मैपिंग का मतलब है कि इस इलाके में मार्च महीने में जितने फोन चल रहे थे. उनका पूरा डाटा पुलिस ने इकट्ठा करेगी और उसे खंगाला जाएगा. इसके लिए फोन कंपनियों से डाटा मांगा गया है.
चलिए अब आपको बताते हैं किस तरह मोबाइल मैपिंग के जरिए तबलीगी जमात के लोगों की तलाश किया जाएगा
मोबाइल मैपिंग से कैसे पकड़े जाएंगे जमाती?
- मोबाइल डेटा के जरिए जमातियों को ट्रेक करने की कोशिश
- जमातियों के मोबाइल GPS लोकेशन को खंगाला जा रहा है
- मरकज़ के पास ज्यादा वक्त रुके मोबाइल GSP की ट्रेकिंग
- GSP के जरिए सॉफ्टवेयर सर्विस प्रोवाइडर को देते हैं लोकेशन
- मोबाइल डेटा के जरिए मरकज़ में रुके लोगों तक पहुंचेगी पुलिस
सेलफोन से मिलेंगे कोरोना के 'स्लीपर सेल'!
11, 12 और 13 मार्च को निजामुद्दीन के मरकज में हजारों की संख्या में लोग जमा हुए थे. ये लोग मरकज में हुए कार्यक्रम में शामिल हो कर वापस भी चले गए. ऐसे में काफी सारे लोग अब भी पुलिस की पहुंच से दूर हैं. इन सभी के संक्रमित होने का अंदेशा है. सेलफोन के जरिए सारे कोरोना के स्लीपर सेल दबोचे जाएंगे.
मरकज़ में शामिल होकर कहां-कहां गए जमाती?
अब डंप किए गए डेटा की मदद से अब मैपिंग की जाएगी और ये पता लगाया जाएगा कि इस मोबाइल टावर आईडी पर कितने मोबाइल फोन उन दिनों एक्टिव थे. अब उन लोगों की लोकेशन देश के किस हिस्से में है. ताकि उन लोगों तक पहुंचा जा सके और उन सभी का मेडिकल चेकअप हो.
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देशभर में अभी कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या 3600 से ज्यादा हो गई है. परेशानी की बात ये है कि इनमें से करीब 30 प्रतिशत मरीज निजामुद्दीन मरकज़ से निकले तबलीगी जमात के लोग हैं.
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