जमात के 'वायरस' को रोकने की INSIDE STORY! 'ऑपरेशन MAC' से बचा हिन्दुस्तान

जमातियों ने जैसे देश को बर्बाद करने की कोशिश की, कोरोना से संक्रमित करने की कोशिश की... और देश के कोने-कोने में भाग गए. उन सभी गुनहगारों को ट्रेस करना बेहद ही मुश्किल था. लेकिन, ये सब संभव हुआ 'ऑपरेशन MAC' से...

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 14, 2020, 04:57 AM IST
    1. 'ऑपरेशन MAC' ना होता तो इटली बन जाता हिंदुस्तान?
    2. मकरज में हुई देश में कोरोना फैलाने की साजिश
    3. इंटेलिजेंस ब्यूरो ने तबलीगी जमातियों की जुटाई जानकारी
जमात के 'वायरस' को रोकने की INSIDE STORY! 'ऑपरेशन MAC' से बचा हिन्दुस्तान

नई दिल्ली: दिल्ली की निजामुद्दीन मरकज में शामिल एक एक जमाती को ट्रेस किया जाना सबसे बड़ी चुनौती थी. इंटेलिजेंस ब्यूरो ने तबलीगी जमात के सदस्यों के मोबाइल नंबरों और पतों की जानकारी जुटाई.

'ऑपरेशन MAC' ना होता तो इटली बन जाता हिंदुस्तान?

जमातियों का पता लगाने की इंटेलिजेंस ब्यूरो  के मल्टी एजेंसी सेंटर यानी मैक (MAC) की मदद ली गई, जिसने पूरी दक्षता से अपने काम को अंजाम दिया. मोबाइल टावरों की मदद से 14 मार्च से लेकर 22 मार्च तक का बड़े पैमाने पर डेटा स्टोर किया गया. 30 मार्च तक संबधित जिलों के पुलिस अधिकारियों को हजारों नाम, मोबाइल नंबर और पते वाली सूचियां भेजी गई थीं.

बीते 14 मार्च से लेकर 22 मार्च तक के मोबाइल डाटा को इकट्ठा किया गया था. आपको बता दें कि ये मोबाइल डाला निजामुद्दीन एरिया में मौजूद कई टॉवर्स से कलेक्ट किये गए थे. इसमें सबसे खास बात ये थी कि इन डाटा में से तबलीबी जमात के दायरे में आने वाले लोगों की शिनाख्त करनी थी.

मकरज में हुई देश में कोरोना फैलाने की साजिश

जानकारी तो ये सामने आई कि करीब 4,000 जमाती अलग-अलग तारीखों पर एक मरकज़ में इकट्ठा हुए थे. ये सभी प्लानिंग के तहत हुआ. इस पूरे प्लान को उतनी ही तेजी से अंजाम दिया गया, जितने जल्दी ये साजिश रची गई थी.

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ये इन 4 हजार जमातियों में से करीब 1,500 जामातियों ने 23 मार्च तक मरकज छोड़ दिया था, लेकिन निजामुद्दीन इलाके में बनी जमात की छह मंजिला इमारत में बाकी जमाती रुके हुए थे.

जमातियों के देश भर में फैलने से सबसे बड़ी चिंता यही थी कि इनमें से कोरोना पॉजिटिव केस कहीं बाकियों में भी इस वायरस को ना फैला दें. इसलिए सबसे बड़ी चुनौती उन्हें ट्रेस करने की थी, ये पता लगाना किसी चुनौती से कम नहीं था कि कौन सा जमाती देश के कौन से, हिस्से में गया है. इंटेलिजेंस ब्यूरो को मार्च के दूसरे हफ्ते में निजामुद्दीन से चलकर हैदराबाद पहुंचने वाली ट्रेन को लेकर एक खबर मिली थी. ट्रेनों में सफर कर रहे ज्यादातर यात्री जमाती थे और उनमें से कई कोविड-19 पॉजिटिव भी थे.

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सोचिए अगर अलग अलग राज्यों की पुलिस को इस बात की खबर नहीं होती कि जमाती कहां कहां पहुंचें हैं तो कोरोना के मामलों की संख्या बहुत बड़ी हो सकती थी.

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