पालघर पर ZEE मीडिया का बड़ा खुलासा: साधुओं की निर्मम हत्या पर सबसे बड़ी 'गवाही'

महाराष्ट्र में इंसानियत का कत्ल करने वाली वारदात ने हर तरफ कोहराम मचा दिया है. लेकिन इस बीच पालघर में हुई संतो की हत्या मामले में बहुत बड़ा खुलासा हुआ है. ZEE मीडिया से पालघर की पहली चश्मदीद की बात हुआ और क्या जानकारी सामने आई? इस खास रिपोर्ट में जानिए...

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 24, 2020, 06:13 AM IST
    1. पालघर पर ZEE मीडिया का बड़ा खुलासा
    2. ZEE मीडिया से पालघर की पहली चश्मदीद की बात
    3. साधुओं की निर्मम हत्या पर सबसे बड़ी 'गवाही'
    4. संतों की हत्या के मास्टरमाइंड को कौन बचा रहा है?
पालघर पर ZEE मीडिया का बड़ा खुलासा: साधुओं की निर्मम हत्या पर सबसे बड़ी 'गवाही'

मुंबई: पालघर में संतों की हत्या मामले में हर रोज एक नया मोड़ सामने आ रहा है, राजनीति पारा बिल्कुल परवान पर है. लेकिन, तथाकथित लिबरल और वामपंथियों की जुबान पर ताला लग गया है. इस बीच ज़ी मीडिया ने पालघर पर बहुत बड़ा खुलासा किया है.

पालघर पर ZEE मीडिया का बड़ा खुलासा

वो चश्मदीद है, जो सबसे पहले उस जगह पर पहुंची थी, जहां 16 अप्रैल को पुलिस के सामने ही दो साधुओं और उनके ड्राइवर की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी. चश्मदीद पालघर में डहाणु इलाके के गांव गढ़-चिंचले की सरपंच हैं जिनका नाम चित्रा चौधरी है. हत्याकांड की चश्मदीद चित्रा चौधरी ने जो दावा किया है वो चौंकाने वाला है.

ZEE मीडिया से पालघर की पहली चश्मदीद की बात

जब ज़ी मीडिया ने चश्मदीद से बात ती तो गढ़-चिंचले गांव की सरपंस चित्रा चौधरी ने बताया कि "पुलिस वाले आए और पंचायत समीति के सदस्य काशीनाथ चौधरी आए और उन्होंने भीड़ के सामने कोई आवाज नहीं उठाई कि अगर सरपंच की नहीं सुन रहे हो तो मेरी सुनो, उसी समय पुलिसवाले गाड़ी में हुई तोड़-फोड़ का फोटो खींच रहे थे. और उसी समय दो साधु और एक ड्राइवर गाड़ी में ही बैठे थे, मैंने 3 घंटे इसको कंट्रोल किया. अगर पुलिसवाले नहीं आते तो हमें भी घटनास्थल पर ही मार डालते, मेरे ऊपर भी पत्थर मारे गए. मुझे भी चोट लगी, मैं भागने लगी और चेकपोस्ट के पास गिर गयी, मेरी चप्पल टूट गई और किसी तरह जानबचाकर मैं घर तक पहुंची."

जब इस घटना का वीडियो आया था, तब आरोप ये लगे थे कि भीड़ में एनसीपी और सीपीएम के स्थानीय नेता और कार्यकर्ता थे. इसमें प्रमुख तौर पर एनसीपी के जिला पंचायत सदस्य काशीनाथ चौधरी का नाम लिया गया था.

साधुओं की निर्मम हत्या पर सबसे बड़ी 'गवाही'

सरपंच चित्रा चौधरी ने दावा किया की एनसीपी के स्थानीय नेता काशीनाथ चौधरी ने भीड़ को नहीं रोका. ज़ी मीडिया से बातचीत में गड़चिंचले गांव की सरपंच चित्रा चौधरी ने सवाल उठाया कि हथियारों के साथ भीड़ कैसे जमा हुई.

चित्रा चौधरी ने ये भी कहा कि "पुलिसवाले बोल रहे थे साधुओं को गाड़ी से बाहर निकलिए हम आ गए हैं अब डरने की जरूरत नहीं है. एक तरफ साधुओं की गाड़ी थी और दूसरी तरफ पुलिस की गाड़ी थी, एक साधु और एक ड्राइवर पुलिस की गाड़ी में बैठे और जो बूढ़ा साधु था. वो चेकनाके के पास जाने लगा, पुलिसवाला सावंत था उसने बूढ़े साधु का हाथ पकड़ा और पुलिस की गाड़ी में ले जाने की कोशिश की तभी लोगों ने पत्थर मारना शुरू कर दिया. साधु को पत्थर लगे उसके माथे से खून आने लगा, पत्थर मुझे भी लगे और मैं चेक नाके के पास गिर गई, फिर वापस हमला हुआ, मैं बहुत डर गई थी."

संतों की हत्या के मास्टरमाइंड को कौन बचा रहा है?

साथ ही चित्रा ने बोला कि "वो NCP के सदस्य हैं मैं BJP की सरपंच हूं, मैं कोई राजनीति नहीं करना चाहती, मर्डर मैंने नहीं देखा था लेकिन बाद में पुलिस मुझे वारदात वाली जगह पर लेकर गई जहां मैंने डेडबॉडी देखी. मैं सभी आरोपियों के नाम नहीं बता सकती हूं. लेकिन मैं विनती करती हूं कि चेक नाके पर जो सीसीटीवी लगे हैं उसके फुटेज से मैं बता सकती हूं कि कौन आरोपी हैं? और उनके क्या नाम हैं?"

चित्रा चौधरी के आरोपों पर स्थानीय एनसीपी नेता काशी नाथ चौधरी ने सफाई दी है. काशीनाथ चौधरी ने भी आरोप लगाया है कि बीजेपी इस मामले को राजनीतिक रंग दे रही है.

भीड़ ने 'राजनीतिक शक्ति' से की साधुओं की हत्या?

स्थानीय एनपीसी नेता काशी नाथ चौधरी ने इस मामले में कहा है कि "करीब 2500 की भीड़ वहां इकठ्ठा थी और उन्होंने हमारी बात नहीं सुनी, यहां तक वन विभाग के 3 कर्मचारी भी वहां थे उनकी बात भी नहीं सुनी, हमें पीछे धकेला, पुलिस की गाड़ी पर पत्थरबाजी की. मेरी गाड़ी पर भी पत्थर मारे जिससे मेरी गाड़ी का कांच भी टूट गया, हमने हाथ जोड़ कर विनती की लेकिन किसी ने हमारी बात नहीं मानी, अब इस मामले को बीजेपी राजनीतिक रंग दे रही है, पुलिस की विनती पर ही मैं वहां मदद के लिए गया था और वो भी पुलिस के साथ, लेकिन अब बीजेपी वाले मेरी पार्टी का नाम लेकर शरद पवार साहब का नाम लेकर राजनीतिक रंग देने का प्रयास कर रहे हैं."

महाराष्ट्र कांग्रेस ने भी आरोप लगाए कि इस मामले में जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, उनमें कुछ बीजेपी के कार्यकर्ता भी हैं.

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संतों की हत्या के बाद चित्रा चौधरी को भी जान से मारने की धमकी मिल चुकी है. सरपंच ने अपनी गवाही में जिस तरह से भीड़ के अचानक उग्र हो जाने की बात कही है. उससे ये सवाल उठता है कि क्या अफवाह सिर्फ कहने के लिए थी और असली मकसद साधुओं की हत्या करना ही था?

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