नई दिल्ली: हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु श्रावण माह के दौरान शयन करते हैं क्योंकि एक बार माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु से कहा था कि आप हर वक्त रात दिन जागते रहते है फिर आप कई वर्षों तक सोते रहते हैं. ऐसा न करके आप हर वर्ष एक निश्चित अवधि में विश्राम कीजिए.
चार माह विश्राम
माता लक्ष्मी की बात मानकर भगवान विष्णु हर वर्ष चार माह विश्राम करने जाने लगे. इस समय भगवान विष्णु शेषनाग की शय्या पर शयन करने चले जाते हैं, जो हजारों फनों से बनी होती है. इस समय के दौरान सभी देवी-देवता आराम की स्थिति में होते हैं.
मानसून का वक्त
यह वह समय है जब भारत में मानसून का मौसम अपने चरम पर होता है और नदियाँ पानी से भरी होती हैं. श्रावण का महीना हिंदू संस्कृति में एक बहुत ही शुभ महीना माना जाता है और इस दौरान कई लोग विभिन्न अनुष्ठान और व्रत करते हैं.
जम्हाई लेने से ही मानसून की बारिश
श्रावण मास के दौरान भगवान विष्णु के शयन के पीछे की एक ओर बहुत दिलचस्प कहानी है. ऐसा माना जाता है कि उनके जम्हाई लेने से ही मानसून की बारिश होती है या यूं कहे जब भगवान विष्णु जम्हाई लेते हैं तो पूरा ब्रह्मांड हिल जाता है और मानसून की बारिश होने लगती है.
क्यों होती है श्रावण मास में शिव की पूजा
जहां तक सावन से संबंध की बात है, तो हिंदू कैलेंडर के अनुसार सावन का महीना आमतौर पर जुलाई या अगस्त में मनाया जाता है. इस दौरान भगवान विष्णु की अनुपस्थिति में भगवान शिव ब्रह्मांड को संचालित करते हैं. हिंदू संस्कृति में श्रावण मास को भगवान शिव की पूजा से जोड़ा जाता है.
भारत में कई लोग भगवान शिव और बाकि देवी-देवताओं का आशीर्वाद पाने और अच्छी फसल सुनिश्चित करने के लिए इस दौरान व्रत रखते हैं और विभिन्न अनुष्ठान करते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस दौरान भगवान शिव अपने भक्तों से बहुत प्रसन्न होते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं और उन्हें समृद्धि और खुशी का आशीर्वाद देते हैं.
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