Papmochani Ekadashi 2023: जानें कब है पापनाशिनी एकादशी व्रत, जानें नियम, शुभ मुहूर्त और उपाय

Papmochani Ekadashi 2023: व्रत या उपवास को रखने के पीछे हमेशा से आध्यातमिक या वैज्ञानिक महत्व रहा है, जिसका उद्देश्य शरीर को स्वस्थ रखने के साथ ही मन को शांत रखना भी होता है. अलग-अलग तिथियों और दिन पर रखे जाने वाले व्रत का अपना अलग महत्व होता है और इनका असर भी अलग होता है.

Written by - Vineet Kumar | Last Updated : Mar 11, 2023, 12:57 PM IST
  • पापमोचिनी व्रत रखने से होते हैं ये फायदे
  • जानें कब है इस साल की पापमोचिनी एकादशी
Papmochani Ekadashi 2023: जानें कब है पापनाशिनी एकादशी व्रत, जानें नियम, शुभ मुहूर्त और उपाय

Papmochani Ekadashi 2023: व्रत या उपवास को रखने के पीछे हमेशा से आध्यातमिक या वैज्ञानिक महत्व रहा है, जिसका उद्देश्य शरीर को स्वस्थ रखने के साथ ही मन को शांत रखना भी होता है. अलग-अलग तिथियों और दिन पर रखे जाने वाले व्रत का अपना अलग महत्व होता है और इनका असर भी अलग होता है. हिंदू धर्म के अनुसार कई तिथियों पर व्रत रखने से खास तरह के फल की प्राप्ति होती है और ऐसा ही एक व्रत पापमोचिनी एकादशी का भी होता है.

पापमोचिनी का मतलब होता है कि पाप का नाश करने वाली, जिससे साफ है कि पोपमोचिनी एकादशी पर व्रत करने वालों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन में सुख-शांति का प्रवाह होता है. एकादशी व्रत में पापमोचिनि एकादशी का व्रत बहुत खास होता है.

पापमोचिनी व्रत रखने से होते हैं ये फायदे

आमतौर पर एकादशी के व्रत को बाकी तिथियों से ज्यादा महत्व दिया जाता है क्योंकि इससे मन की चंचलता समाप्त होने के साथ ही धन और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है. पापमोचिनी व्रत का उद्देश्य एकादशी के इन महत्वों के अलावा संतान प्राप्ती और पापों का नाश करना भी होता है. यह व्रत चैत्र मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को रखा जाता है.

जानें कब है इस साल की पापमोचिनी एकादशी

इस साल पापमोचिनी एकादशी का व्रत 18 मार्च, 2023 शनिवार को रखा जाएगा, जिसके शुभ मुहुर्त का आगाज 17 मार्च को रात 2 बजकर 6 मिनट पर होगा तो वहीं पर 18 मार्च को सुबह 11 बजकर 13 मिनट पर समाप्त होगा. व्रत को हमेशा सूर्योदय की तिथी के अनुसार ही रखते हैं, जिसका मतलब है कि पापमोचनी एकादशी का व्रत 18 मार्च को रखा जाएगा तो वहीं पर इसका पारण 19 मार्च को होगा. व्रत को पारण करने का समय 19 मार्च को सुबह 06 बजकर 27 मिनट से 08 बजकर 07 मिनट तक है.

जानें क्या हैं इस व्रत के नियम

पापमोचिनी व्रत को दो प्रकार से रखा जाता है जिसमें से पहला है निर्जल- इसके तहत उपासक को व्रत के दौरान पानी का सेवन नहीं करना होता है, जिसके चलते इसे सिर्फ स्वस्थ व्यक्तियों को ही रखने की सलाह दी जाती है. वहीं पर दूसरा तरीका फलाहार या जलीय व्रत का है जिसमें सिर्फ फलाहार या फिर पानी पीने की छूट होती है. सामान्य लोगों को इसी तरीके से व्रत रखने की सलाह दी जाती है.

इस व्रत को रखने वाले उपासकों को दशमी के दिन सात्विक आहार कर एकादशी का व्रत रखना चाहिये और व्रत वाले दिन श्रीहरि विष्णु की पूजा करनी चाहिये. पापों का नाश करने के लिये पापमोचिनी एकादशी पर रात्रि जागरण में श्रीहरि की पूजा करनी चाहिये.

जानें क्या हैं पापमोचनी एकादशी के उपाय

पापमोचिनी एकादशी पर सुबह उठकर स्नान करें और एकादशी के व्रत और पूजना का संकल्प लें. भगवान सूर्य को अर्घ्य दें और केले के पौधे में जल चढ़ायें. विष्णु पूजने के दौरान पीले फूल चढ़ाएं और श्रीमद्भगवदगीता के ग्यारहवें अध्याय का पाठ करें. इसके साथ ही श्री हरि भगवान विष्णु के मंत्र ॐ हरये नमः’. का जाप भी कर सकते हैं.

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