साहस और वीरता का प्रतीक है माता का यह रूप, जानें क्यों कहा जाता है चंद्रघंटा

Navratri 2022: नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करने से साधक का मन मणिपुर चक्र में प्रविष्ट होता है और मां चंद्रघंटा की कृपा से उसे आलोकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Sep 28, 2022, 04:32 PM IST
  • मां चंद्रघंटा के हाथों में शस्त्र-अस्त्र विभूषित
  • देवी चंद्रघंटा मां पार्वती का विवाहित स्वरूप
साहस और वीरता का प्रतीक है माता का यह रूप, जानें क्यों कहा जाता है चंद्रघंटा

नई दिल्ली. आज नवरात्रि का तीसरा दिन है. इस दिन माता के तीसरे स्वरूप देवी चंद्रघंटा की पूजा होती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार दैत्यों और असुरों के साथ युद्ध में देवी ने घंटों की टंकार से असुरों का नाश कर दिया था. इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा से सुख-संपदा मिलती है और जीवन आनंदित होता है. 

मां चंद्रघंटा के गले में सफेद फूलों की माला सुशोभित रहती हैं. मान्यता है कि माता रानी का चंद्रघंटा स्वरूप भक्तों को निर्भय और सौम्य बनाता है. इस दिन साधक का मन मणिपुर चक्र में प्रविष्ट होता है और मां चंद्रघंटा की कृपा से उसे आलोकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं. 

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#नवरात्री का तृतीय दिवस माँ #चंद्रघंटा को समर्पित है। इस दिन योगीजन अपने मन को मणिपुर चक्र में स्थित कर #भगवती #आद्यशक्ति का आह्वाहन करते हैं और विभिन्न प्रकार की सिद्धियां प्राप्त करते हैं। देवी #पार्वती को शांति और क्षमा की देवी के रूप में उनके चंद्रघंटा अवतार में #पूजा जाता है। या देवी सर्वभूतेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। रहस्यम् शृणु वक्ष्यामि शैवेशी कमलानने। श्री चन्द्रघण्टास्य कवचम् सर्वसिद्धिदायकम्॥ #Matarani #durgamaa #chandraghantamaa

- Prem Prakash Dubey (@premprakashdubey) 28 Sep 2022

मां चंद्रघंटा के भक्त और उपासक जहां भी जाते है लोग उन्हें देखकर शांति का अनुभव करते है. इनके साधक के शरीर से दिव्य प्रकाश युक्त परमाणुओं का अदृश्य विकिरण होता है. यह दिव्य क्रिया साधारण चक्षुओं से दिखाई नहीं देती, किंतु साधक व उसके संपर्क में आने वाले लोग इस बात का अनुभव करते हैं.

मां चंद्रघंटा का स्वरूप
मान्यताओं के अनुसार मां चंद्रघंटा को परम शांतिदायक और कल्याणकारी माना गया है. मां चंद्रघंटा के मस्तिष्क पर घंटे के आकार का आधा चंद्र है. इसीलिए इन्हें मां चंद्रघंटा कहा जाता है. मां चंद्रघंटा का रूप रंग स्वर्ण के समान है. मां चंद्रघंटा देवी के दस हाथ हैं. इनके हाथों में शस्त्र-अस्त्र विभूषित हैं, और मां चंद्रघंटाकी सवारी सिंह है. माता का यह स्वरूप साहस और वीरता का अहसास कराता है. यह मां पार्वती का विवाहित स्वरूप है. माता की दस भुजाएं हैं प्रत्येक भुजाओं में अलग अलग अस्त्र शस्त्र विराजमान हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)

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