नई दिल्लीः चार महीने की योग निद्रा के बाद भगवान श्री हरि विष्णु 12 नवंबर को जागेंगे. इसके साथ ही चार महीने से मांगलिक कार्यों पर लगा विराम भी हट जाएगा. नवंबर और दिसंबर में 19 दिन विवाह के मुहूर्त मिलेंगे. इसके बाद खरमास की शुरुआत हो जाएगी और सभी मांगलिक कार्य मकर संक्रांति तक बंद रहेंगे.
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि कार्तिक मास में आने वाली देवउठनी एकादशी फिर से शादी ब्याह की शहनाई की गूंज सुनाई देगी. इसी के साथ ही शादी ब्याह व मांगलिक कार्य का दौर फिर से प्रारंभ हो जाएगा. इस बार नवंबर में 9 दिन तक और दिसंबर में 10 दिन तक शादी ब्याह की धूम रहेगी.
लंबे समय बाद शुरू होंगे मांगलिक कार्य
बता दें कि देवउठनी एकादशी के बाद करीब 123 दिन के विराम के बाद मांगलिक कार्य प्रारंभ होंगे. हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 11 नवंबर की शाम 6:46 बजे होगी. इस तिथि की समाप्ति अगले दिन यानी 12 नवंबर को 4:14 बजे होगी. ऐसे में उदयातिथि को देखते हुए इस साल देवउठनी एकादशी का व्रत 12 नवंबर को ही रखा जाएगा.
चार महीने की योग निद्रा से जागेंगे हरि विष्णु
देवउठनी एकादशी से विवाह के मुहूर्त शुरू होते हैं, क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु अपनी चार महीने की योग निद्रा से जागृत होते हैं. इसे देव जागरण का पर्व भी कहा जाता है और इस दिन से लेकर आगामी कई शुभ तिथियों में विवाह जैसे मांगलिक कार्य प्रारंभ होते हैं.
16 दिसंबर से खरमास
नवंबर और दिसंबर के पहले पखवाड़े में लग्न मुहूर्त अधिक रहेंगे. इसके बाद 16 दिसंबर से सूर्य के धनु राशि में प्रवेश के साथ ही खरमास की शुरुआत हो जाएगी, जो 15 जनवरी 2025 मकर संक्रांति तक रहेगा. इस दौरान मांगलिक कार्यों पर विराम रहेगा. 15 जनवरी को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही खरमास समाप्त होगा और फिर से लग्न मुहूर्त की शुरुआत हो जाएगी.
चार दिन रहेगी विशेष तिथियां
22 और 23 नवंबर के बाद 9 और 10 दिसंबर की तिथियां विशेष रूप से अत्यधिक शुभ मानी गई हैं. इस दौरान पूरे दिन और रात विवाह के लिए उत्तम मुहूर्त उपलब्ध रहेंगे, जो इसे एक आदर्श समय बनाते हैं. दिसंबर की 14 तारीख को केवल दिन का समय ही विवाह के लिए अनुकूल है, क्योंकि शाम के बाद खरमास शुरू हो जाएगा, जिसके कारण मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है.
कब-कब हैं शुभ मुहूर्त
नवंबर: 16 से 18, 22 से 26, 28 (9 दिन)
दिसंबर: 2 से 5, 9 से 11, 13 से 15 (10 दिन)
(कुछ पंचांग में भेद होने के कारण तिथि घट-बढ़ सकती है और परिवर्तन हो सकता है.)
(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Bharat इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.)
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