Guru Purnima 2023: 3 जुलाई को है गुरु पूर्णिमा, जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व

Guru Purnima 2023: पंचांग के अनुसार 3 जुलाई को आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि के साथ जुलाई के पहले हफ्ते की शुरुआत हो जाएगी. साल 2023 का जुलाई महीना धार्मिक दृष्टिकोण से काफी खास होने वाला है. 

Written by - Pramit Singh | Last Updated : Jul 2, 2023, 10:13 AM IST
  • महर्षि वेदव्यास का हुआ था जन्म
  • पहली बार दिया था चारों वेदों का ज्ञान
Guru Purnima 2023: 3 जुलाई को है गुरु पूर्णिमा, जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व

नई दिल्लीः Guru Purnima 2023: पंचांग के अनुसार 3 जुलाई को आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि के साथ जुलाई के पहले हफ्ते की शुरुआत हो जाएगी. साल 2023 का जुलाई महीना धार्मिक दृष्टिकोण से काफी खास होने वाला है. 

महर्षि वेदव्यास का हुआ था जन्म
हिंदू धर्म शास्त्रों की मानें, तो आषाढ़ में पड़ने वाली पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. इसी दिन चारों वेदों का ज्ञान देने वाले महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था. 

पहली बार दिया था चारों वेदों का ज्ञान
महर्षि वेदव्यास ने पहली बार इस विशाल भूखंड पर उपस्थित तमाम मानव समुदाय को चारों वेदों का ज्ञान दिया था. इसी एवज में आषाढ़ में पड़ने वाले पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. साथ ही महर्षि वेदव्यास को प्रथम गुरु की उपाधि भी दी जाती है. 

भगवान विष्णु की पूजा का है विशेष महत्व
शास्त्रों की मानें, तो इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है. ऐसे में आइए जानते हैं 3 जुलाई को पड़ने वाले गुरु पूर्णिमा की पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में. 

गुरु पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ- 2 जुलाई 2023 को शाम 8:21 से 
पूर्णिमा तिथि की समाप्ति- 3 जुलाई 2023 को शाम 5:08 बजे

क्यों मनाया जाता है गुरु पूर्णिमा
भारतीय समाज में आरंभिक समय से ही गुरु को काफी महत्व दिया गया है. भारतीय संस्कृति में गुरु को भगवान का दूसरा रूप माना गया है. गुरु ही वो शख्स होते हैं, जिनसे इंसान से भविष्य का निर्माण होता है. ऐसे में गुरु की सम्मान में आषाढ़ महीने के पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहा जाता है. 

गुरु पूर्णिमा की पूजन विधि
गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह नदियों में स्नान करने का बहुत महत्व है. जो लोग इस दिन नदियों में जाने के लिए सक्षम नहीं हैं, वे अपनी नहाने की पानी में गंगा का जल भी मिला सकते हैं. स्नान करने के दौरान सभी पवित्र नदियों का ध्यान जरूर करें. नहाने के बाद मंदिर में दीप जलाएं. साथ ही सभी देवी-देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें. 

भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का साथ में करें ध्यान
गुरु पूर्णिमा के पवित्र मौके पर भगवान विष्णु के साथ धन देवी मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है. भगवान विष्णु को भोग लगाते समय तुलसी के पत्ते को भी निश्चित रूप से शामिल करें. मान्यताओं की मानें, तो तुलसी के पत्ते के बिना भगवान विष्णु भोग को स्वीकार नहीं करते हैं. 

चंद्रमा की पूजा का है विशेष महत्व
गुरु पूर्णिमा पर चंद्रमा की पूजा करने का भी विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने से इंसान को अपने दोषों से मुक्ति मिलती है. इस दिन समाज के जरूरतमंदों को निश्चित रूप से दान देना चाहिए. अगर आपके आस-पास गाय है, तो इस पवित्र मौके पर उसे भोजन जरूर कराएं. इससे तमाम तरह की पापों से मुक्ति मिलती है. 

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