नई दिल्लीः Dev Uthani Ekadashi 2022: आज देवोत्थान एकादशी है. कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को इसे देवउठनी एकादशी या देव प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इन सभी शब्दों का अर्थ होता है- भगवान का जागरण. यह एकादशी तिथि चतुर्मास अवधि के समापन का प्रतीक है, जिसमें श्रावण, भाद्रपद, अश्विन और कार्तिक महीने शामिल हैं.
योग निद्रा में रहते हैं भगवान विष्णु
इस अवधि के दौरान भगवान विष्णु क्षीरसागर में शेषनाग पर शयन करते हुए योग निद्रा की स्थिति में रहते हैं और देव उठनी एकादशी पर उनका जागरण होता है. देव उठनी एकादशी पर व्रत रखना बहुत फलदायी माना गया है. पद्मपुराण में सभी के बारे में विस्तार से बताया गया है. मान्यता है कि जो भी व्यक्ति एकादशी व्रत का महात्म्य सुनता है, वह हर तरह के पाप से मुक्त होकर श्री हरि लोक में स्थान प्राप्त करता है.
धार्मिक मान्यता है कि इस एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु चौमासा की चार माह की घोर निद्रा के बाद जागृत होते हैं.
आज का पंचांग
कार्तिक - शुक्ल पक्ष - एकादशी तिथि 06.08 बजे तक, इसके उपरांत द्वादशी तिथि - शुक्रवार
नक्षत्र - पूर्वभाद्रपदा
महत्वपूर्ण योग- व्याघात योग
चंद्रमा का कुंभ के उपरांत 18:20 पर मीन राशि पर संचरण
आज का शुभ मुहूर्त - 11.48 बजे से 12.32 बजे तक
राहु काल- 10.47 बजे से 12.10 बजे तक
त्योहार - प्रबोधिनी एकादशी (देवोत्थान एकादशी)
गुप्त मनोकामना की पूर्ति के लिए
आज प्रोबोधिनी एकादशी है और तुलसी की पूजा का विशेष महत्व है. काली तुलसी की मंजरी, एक मुट्ठी साबुत अन्न और एक सिक्के को एक लाल कपड़े में लपेटकर एक पोटली बना लें. सायंकाल से पहले उस पोटली को किसी मंदिर में स्थित आंवला या अशोक के वृक्ष की जड़ के पास एक मनोकामना का स्मरण करते हुए दबा दीजिए.
आचार्य विक्रमादित्य की भविष्यवाणी
कार्तिक महीने में कई ग्रह वक्री हो रहे हैं, मार्गी हो रहे हैं. इसी का प्रभाव है कि देश दुनिया की सियासत में भारी उलटफेर होने की संभावना है.
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