जानें कब हैं अधिकमास सावन के अंतिम 2 प्रदोष व्रत, यूं करें शिव पूजा

प्रदोष व्रत को रखने से कई लाभ होते हैं. यह व्रत मोक्ष, पापों से मुक्ति, सुख, समृद्धि, रोगों से मुक्ति और भगवान शिव और माता पार्वती के अनुग्रह प्राप्त करने का एक उत्तम अवसर है.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 11, 2023, 05:25 PM IST
  • दो गायों के दान के बराबर फल.
  • साबुदाने की खीर का भोग लगायें.
जानें कब हैं अधिकमास सावन के अंतिम 2 प्रदोष व्रत, यूं करें शिव पूजा

नई दिल्ली: प्रदोष व्रत हिंदुओं के लिए एक शुभ दिन है, जो चंद्रमा के बढ़ने और घटने दोनों चरणों के 13वें दिन मनाया जाता है. इस दिन, भक्त भगवान शिव को समर्पित विशेष पूजा और अनुष्ठान करते हैं. शाम को पूजा करने के बाद व्रत प्रसाद ग्रहण करके व्रत खोला जाता है. ऐसा माना जाता है कि प्रदोष व्रत करने से जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता मिलती है. 

कथा
इस व्रत के पीछे की कथा के अनुसार भगवान शिव ने सबसे पहले सती जी को इस व्रत का महत्व बताया था जिसके अनुसार इस व्रत को करने से दो गायों के दान के बराबर फल प्राप्त होता है.

तारीख

-13 अगस्त 2023 (रविवार)

- 28 अगस्त 2023 (सोमवार)

शुभ दिन
अगस्त का महीना अधिकमास सावन का महीना है, और इस महीने के प्रदोष व्रत शुभ फल देने वाले होते हैं, इसलिए यदि आप प्रदोष व्रत शुरू करना चाहते हैं तो अगस्त में आने वाला 13 अगस्त के प्रदोष व्रत से शुरुआत कर सकते हैं. क्योंकि कहा जाता है कि रविवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत बहुत शुभ होता है. 

समय
-13 अगस्त 2023 की पूजा का समय सुबह 8 बजकर 25 मिनट से शुरू होगा और इसकी समाप्ति रात को 09 बजकर 12 मिनट पर होगी. 

-28 अगस्त 2023 सावन का आखिरी प्रदोष व्रत शाम को 6 बजकर 22 मिनट से शुरू होगा जो 29 अगस्त 2023 को 02 बजकर 47 मिनट पर खत्म होगी. 

प्रदोष व्रत की विधि 
1. प्रदोष व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनने चाहिए. 
2. व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए. 
3. पूजा के लिए शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद, धूप, दीप और फूल अर्पित करना चाहिए. 
4. इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करनी चाहिए. आरती के बाद, व्रत का प्रसाद ग्रहण करना चाहिए.
5. प्रसाद में खीर का भोग लगाकर घर के छोटे बच्चों को बांट दें. 

प्रदोष व्रत करने के महत्व  
1. मोक्ष -प्रदोष व्रत रखने से मोक्ष प्राप्त होता है.
2. पापों से मुक्ति - प्रदोष व्रत रखने से पापों से मुक्ति मिलती है. 
3. सुख और समृद्धि - प्रदोष व्रत रखने से सुख और समृद्धि प्राप्त होती है.
4. रोगों से मुक्ति - प्रदोष व्रत रखने से रोगों से मुक्ति मिलती है.
5. आर्शीवाद - प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव और माता पार्वती का आर्शीवाद प्राप्त होता है.

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.

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