नई दिल्लीः Amla Navami: कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी अक्षय नवमी कहलाती है. इस दिन स्नान, पूजन, तर्पण तथा अन्न आदि के दान से अक्षय फल की प्राप्ति होती है. इसमें पूर्वाह्न व्यापिनी तिथि ली जाती है. आंवला नवमी के दिन परिवार के बड़े-बुजुर्ग सदस्य विधि-विधान से आंवले के वृक्ष की पूजा-अर्चना करके भक्तिभाव से इस पर्व को मनाते हैं. इस दिन महिलाएं भी अक्षत, पुष्प, चंदन आदि से पूजा-अर्चना कर पीला धागा लपेटकर वृक्ष की परिक्रमा करती हैं.
स्नान-दान से मिलता है पुण्य
धर्मशास्त्र के अनुसार, इस दिन स्नान, दान, यात्रा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. ऐसा माना जाता है कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को आंवला पैदा हुआ था इसलिए इसे आंवला नवमी की भी संज्ञा दी जाती है. हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, अक्षय नवमी के दिन आंवले की पूजा करने से ब्रह्मा, विष्णु, शिव और मां लक्ष्मी प्रसन्न होते हैं.
आज का पंचांग
कार्तिक - शुक्ल पक्ष- नवमी तिथि - बुधवार
नक्षत्र - धनिष्ठा नक्षत्र
महत्वपूर्ण योग - गण्ड योग
चंद्रमा का मकर राशि के उपरांत 14:17 पर कुंभ राशि पर संचरण
आज का शुभ मुहूर्त - 04.52 बजे से 05.42 बजे तक
राहु काल- 12.11 बजे से 01.37 बजे तक.
त्योहार – आंवला – कुष्मांड – अक्षय नवमी, धात्री नवमी
भगवान विष्णु ने किया था कुष्मांड का वध
अक्षय नवमी पर्व को बेहद श्रद्धा और समर्पण के साथ मनाया जाता है. इस दिन अनुष्ठान करने से व्यक्ति की इच्छाएं पूरी होती हैं. साथ ही मोक्ष की प्राप्ति भी होती है. इस दिन दान और भिक्षा देना बेहद शुभ माना जाता है. अक्षय नवमी को कुष्मांड नवमी भी कहा जाता है. कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने इस दिन दानव कुष्मांड का वध किया था और ब्रह्मांड में धर्म को स्थापित किया था.
गुप्त मनोकामना की पूर्ति के लिए
किसी मंदिर में एक आंवले का पौधा रोपित करें.
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