सीता राम विवाह का दिन सबसे शुभ फिर भी लोग क्यों नहीं करते बेटियों की शादी

Padma Shree Shubham
Dec 04, 2024

मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष

मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष पंचमी तिथि का शास्त्रों में बहुत महत्व बताया गया है. इस तिथि पर श्रीराम और देवी सीता का विवाह हुआ था.

विवाह पंचमी

इस तिथि पर त्रेतायुग में भगवान राम का देवी सीता से विवाह हुआ जिसके कारण इस तिथि को विवाह पंचमी के नाम से जाना जाता है.

भृगु संहिता

मान्यता है कि भृगु संहिता में इस तिथि को विवाह के लिए अबूझ मुहूर्त के रूप में पुकारा गया है.

बेटियों का विवाह

क्या आप जानते हैं कि इस तिथि पर लोग अपनी बेटियों का विवाह करना पसंद नहीं करते हैं.

धारणा

इस तिथि को लेकर धारणा है कि इस दिन विवाह करने से देवी सीता और भगवान राम को वैवाहिक जीवन का पूरा सुख नहीं सका.

वनगमन

जब राम को राजा बनाया जाना था तो देवी सीता को भगवान राम के साथ वनगमन करना पड़ा.

राजधर्म

वन से लौटकर आए रामजी को अयोध्या के राजा बनाया गया लेकिन फिर उन्हें राजधर्म निभाते हुए सीता जी का त्याग करना पड़ा. दोनों अलग हो गए.

मिथ्या कलंक

देवी सीता पर मिथ्या कलंक लगाया गया और वन में ही जीवन गुजारना पड़ और आखिरी में माता सीता धरती माता में समा गईं. इस तरह उनका पूरा वैवाहिक जीवन संघर्ष पूर्ण बीता.

अबूझ मुहूर्त

यही कारण है कि अबूझ मुहूर्त पर विवाह पंचमी के दिन लोग बेटियों की शादी नहीं करते.

डिसक्लेमर

डिस्क्लेमर: यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का Zeeupuk हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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