इस संगठन की स्थापना स्वामी चिन्मयानन्द जी ने की थी. गीता पर यह मिशन राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिता भी करवाता है.
अन्तर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ यानी इस्कॉन के संस्थापक और हरे राम हरे कृष्ण आन्दोलन के प्रवर्तक श्रील प्रभुपाद हैं. इस संगठन के जरिए विश्वभर में गीता पढ़ी जाने लगी.
कहते हैं कि महर्षि अरविंद घोष को जेल में श्रीकृष्ण जी के दर्शन हुए और तब से उन्होंने अध्यात्म का रास्ता लिया. गीता की व्याख्या कर प्रचार प्रसार में जीवन बिताया. उनका संगठन अब कार्य में है.
वैष्णव संप्रदाय के उप संप्रदाय गीता के प्रचार प्रसार में लगे हुए हैं. ये उप संप्रदाय हैं- बैरागी, दास, रामानंद, राधावल्लभ, सखी, गौड़ीय, वल्लभ, निम्बार्क, माध्व आदि.
गीताप्रेस गोरखपुर संगठन हिंदू धर्म के पुराणों, महाभारत, रामायण जैसे ग्रंथ और गीता को छापता आ रहा है और प्रचार प्रसार भी करता है. गीताप्रेस ने गीता के कई संस्करण निकाले हैं.
कृष्णतत्त्ववेत्ता श्रीतेजस्वी दास जी ने गीता-भागवत प्रचार सेवा की स्थापित की थी जोकि श्रीमद्भगवद्गीता एवं श्रीमद्भागवत पुराण के ज्ञान व पुस्तक नि:शुल्क प्रदान करवाने के लिए जाना जाता है.
गीता परिवार पिछले कई सालों से श्रीमद्भागवत गीता और पुराण का देश-विदेश में प्रचार कर रहा है. संगठन चिन्मय मिशन की अतर्गत गीता प्रतियोगिता का आयोजन भी करवाता है.
इंग्लैंड और वेल्स में चैरिटी कमीशन में एक चैरिटी के तौर पर भगवद गीता रिसर्च फाउंडेशन पंजीकृत है जो किसी भी व्यक्ति या संगठन से दान को नहीं स्वीकारता है.
भगवद गीता रिसर्च फाउंडेशन का इसका उद्देश्य गीता की समझ को लोगों के बीच ले जाना है. गीता के सिद्धांतों व शिक्षाओं दुनियाभर में आपसी सम्मान, सहिष्णुता व विनम्रता बढ़ाना है ही इसका लक्ष्य है.