धरती के अंदर ही बहती है ये नदी, महसूस होती है पर दिखाई नहीं देती, पढ़ें रहस्यमयी कहानी

Preeti Chauhan
Jan 20, 2025

प्रयागराज महाकुंभ

भारत में कई ऐसी नदियाँ हैं जो धरती के भीतर बहती हैं. इनमें से एक प्रमुख उदाहरण है प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था) में बहने वाली सरस्वती नदी. प्रयागराज महाकुंभ की दुनिया भर में धूम है. ऐसा माना जाता है कि Prayagraj में तीन नदियों का संगम है.

महाकुंभ 2025

प्रयागराज के संगम तट पर महाकुंभ 2025 का आयोजन हो रहा है, जो 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलेगा.महाकुंभ में कुल 6 मुख्य स्नान होंगे, जिसमें पहला स्नान पौष पूर्णिमा (13 जनवरी) पर हुआ और दूसरा स्नान मकर संक्रांति (14 जनवरी) को हुआ.

नदियों का मिलन

संगम पर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का मिलन होता है, जहां सरस्वती को गुप्त रूप में मौजूद माना जाता है.

अधिकांश भाग धरती के भीतर

सरस्वती नदी प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों के संगम के पास से होकर गुजरती है, लेकिन इसका अधिकांश भाग धरती के भीतर है. वैज्ञानिक भी मानते हैं कि सरस्वती नदी का अस्तित्व कभी था, जो हिमालय से निकलकर राजस्थान होते हुए अरब सागर में मिलती थी.

कितने किलोमीटर लंबी नदी

यह नदी लगभग 20 किलोमीटर लंबी है और इसका पानी इतना साफ और शुद्ध है कि इसे पीने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व

सरस्वती नदी का इतिहास बहुत पुराना और रहस्यमय है. सरस्वती नदी का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व भी बहुत अधिक है.

पवित्र नदी

यह नदी हिंदू धर्म में एक पवित्र नदी मानी जाती है और इसका उल्लेख कई प्राचीन हिंदू ग्रंथों में मिलता है.जैसे कि ऋग्वेद और महाभारत में.ऋग्वेद की ऋचाओं में कहा गया है कि यह एक ऐसी नदी है जिसने एक सभ्यता को जन्म दिया.

यमुना और गंगा से भी अधिक शक्तिशाली

पौराणिक काल में सरस्वती नदी को यमुना और गंगा से भी अधिक शक्तिशाली माना जाता था. इस महाकुंभ आप भी इस अदृश्य नदीं के साक्षात दर्शन कर सकते हैं.

सरस्वती कूप में पानी

मान्यता है कि हर तीन साल में कुम्भ के दौरान सरस्वती कूप में पानी अपने आप भर जाता है, जैसे मां सरस्वती दर्शन देने आई हों. सरस्वती कूप करीब 70 फीट गहरा है, जिसमें 30-35 फीट तक पानी भरा रहता है और यहां मां सरस्वती की सफेद प्रतिमा भी स्थापित है.

सिन्धु नदी के समान दर्जा

सरस्वती नदी को सिन्धु नदी के समान दर्जा प्राप्त था और इसे भाषा, ज्ञान, कलाओं और विज्ञान की देवी भी माना जाता था.

डिस्क्लेमर

लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि स्वयं करें. एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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